टनल रेस्क्यू ऑपरेशन : मशीन का हेड निकला, अब हाथ से ड्रिलिंग शुरू, वर्टिकल ड्रिलिंग भी जारी

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उत्तरकाशी| उत्तराखंड की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कोशिशें जारी हैं। उधर, मौसम विभाग ने उत्तराखंड में अगले 24 घंटे के दौरान बारिश और ओलावृष्टि की आशंका जताई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम में बदलाव से रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानियां आ सकती हैं। इधर, रेस्क्यू टीम ने सोमवार सुबह 3 बजे सिल्क्यारा की तरफ से फंसे ऑगर मशीन के 13.9 मीटर लंबे पार्ट्स निकाल लिए। उत्तराखंड शासन के सचिव डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया कि पाइप में फंसे ऑगर मशीन की ब्लेड एवं साफ्ट को काटने का कार्य पूरा कर लिया गया है। ऑगर मशीन के हेड को भी निकाल लिया गया है। पहले 1.9 मीटर पाइप काटा गया था। अब मैन्युअली काम करते हुए पाइप को 0.9 मीटर आगे पुश भी किया गया है। अपर सचिव सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय महमूद अहमद ने बताया कि वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी तेजी से चल रहा है। अब तक 36 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग कर ली गई है। मलबे में मशीन के ब्लेड फंसने की वजह से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग 24 नवंबर से बंद थी। 16 दिन से फंसे 41 मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग जारी है। अब तक 31 मीटर खुदाई हो चुकी है। उधर, टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने पीएम नरेंद्र मोदी के विशेष सचिव पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय के भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू भी पहुंचे।

रैट माइनर्स पर मैन्युअल ड्रिलिंग की जिम्मेदारी
दिल्ली के रहने वाले मुन्ना अपने सहयोगी रैट माइनर्स के साथ सिल्क्यारा टनल साइट पर पहुंच चुके हैं। ये वर्कर रॉकवेल कंपनी में काम करते हैं। ये लोग मैन्युअल ड्रिलिंग के एक्सपर्ट वर्कर हैं। ये 2-2 के ग्रुप में टनल पैसेज में जाएंगे और बची हुई 12 मीटर की हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग को हाथों से अंजाम देंगे। मुन्ना के मुताबिक ये सभी टनल के अंदर जाकर ड्रिलिंग के लिए तैयार हैं।

रोबोट से रखेंगे मजदूरों की हेल्थ पर नजर

टनल के अंदर फंसे 41 मजदूरों पर नजर रखने के लिए रोबोटिक्स की मदद ली जा रही है। इसके लिए लखनऊ से AI एंड रोबोटिक्स डेवलपर मिलिंद राज को बुलाया गया है। मिलिंद ने बताया- हम तीन बड़े काम करेंगे। एक- मजदूरों के बिहैवियर और उनकी हेल्थ को 24X7 मॉनिटर करेंगे। टनल के अंदर फंसे मजदूरों की हताशा की स्थिति को डिटेक्ट करेंगे। दूसरा- टनल के अंदर अगर कोई गैस निकल रही है तो उसे डिटेक्ट करेंगे। तीसरा- टनल के अंदर जहां नेटवर्क भी ठीक से नहीं मिल पा रहा है, वहां हम हाईस्पीड इंटरनेट सिस्टम देंगे।

24 नवंबर से बंद है हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग

टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए सिल्क्यारा ​​​​छोर से अमेरिकन ऑगर मशीन के जरिए खुदाई करके रेस्क्यू पाइप डाले जा रहे थे। शुक्रवार यानी 24 नवंबर को मजदूरों की लोकेशन से महज 12 मीटर पहले मशीन की ब्लेड्स टूट गई थीं। इस वजह से रेस्क्यू रोकना पड़ा। मलबे में ड्रिलिंग मशीन का लंबा ब्लेड फंसा था। इसके पार्ट्स लेजर और प्लाज्मा कटर से काटकर बाहर निकाल लिए गए हैं, मशीन का हेड अभी मलबे में फंसा हुआ है।

86 मी. वर्टिकल ड्रिलिंग होनी है, 31 मीटर हो चुकी

वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन ने रविवार 26 नवंबर शाम 7:30 बजे तक पहाड़ से टनल में 1.2 मी. की गोलाई में 31 मी. की गहराई तक बोर किया। इस रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर रहे एनएचआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद ने बताया था कि ये मशीन 40 मी. वर्टिकल ड्रिल कर सकती है। इसके बाद बड़ी मशीन काम करेगी। इसमें 100 घंटे (30 नवंबर) तक लग सकते हैं। उन्होंने बताया कि यदि इस ड्रिलिंग में भी शाफ्ट या बिट कहीं फंसती है तो इसे काटने के लिए मैग्नम कटर मशीन साइट पर मंगवा ली गई है। दूसरी ओर, टनल के भीतर सेना की इंजीनियरिंग कोर की 201 रेजिमेंट के 50 जवानों ने पाइप में फंसे ऑगर मशीन के शाफ्ट काटकर अलग कर दिए। अब मुंबई से बुलाए गए 7 सीवेज एक्सपर्ट इन्हीं पाइप में जाकर हाथों से मलबा हटाकर रास्ता बनाएंगे।

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