राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को समर्पित हुआ 5 वर्षीय रामलला की प्रतिमा

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जयपुर के मूर्तिकार चंद्रेश पांडे ने बनाई 51 इंच की कमल दल पर खड़ी रामलला की प्रतिमा

अयोध्या। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए रामलला के नवीन विग्रह के चयन पूरा हो गया, लेकिन श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में अभी इस विग्रह के स्वरूप को गुप्त रखा हुआ है। जयपुर के एक मूर्तिकार ने शुक्रवार को कमल दल पर खड़ी मुद्रा में पांच वर्षीय रामलला की 51 इंच की मूर्ति को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को समर्पित किया है। जिसको लेकर राम लला की मूर्ति को लेकर एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। बड़ी संख्या में लोग इस मूर्ति को देखने के लिए कारसेवकपुरम पहुंच रहे हैं। वहीं इंटरनेशनल और नेशनल मीडिया में भी इस प्रतिमा को लेकर अलग-अलग बाते सामने आ रही है। मूर्तिकार चंद्रेश पांडे बताते हैं कि रामलला का यह विग्रह श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को सौंपा है। उन्होंने बताया कि आठ माह पूर्व मूर्तिकारों की बैठक में भी मुझे शामिल किया गया था, लेकिन पारिवारिक कारणों से इस कार्य में शामिल नहीं हो सका। हमने पांच महीने में इस रामलला के दिव्य मूर्ति को तैयार किया है।

मंदिर के गर्भगृह में होगी रामलला के दो मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा
राम मंदिर के मूल गर्भगृह में रामलला के चल और अचल दो मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कराई जाएगी। उसके पहले प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में चल मूर्ति को शामिल किया जाएगा। मंदिर के ईशानकोण में अनुष्ठान स्थल तैयार करने का काम शुरू हो गया है। प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियों को लेकर शुक्रवार को काशी के मुख्य यज्ञाचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के वैदिक आचार्यों का दल रामनगरी पहुंच गया। इस कार्य को संपन्न करा रहे पुरोहित अरुण दीक्षित ने बताया कि अधिवास पूजन में रामलला की बड़ी मूर्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाना संभव नहीं है। इसके लिए एक रजत मूर्ति प्राप्त होगी। जिसे इस पूजन विधि प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। प्रतीक मात्र बड़ी मूर्ति का भी पूजन होगा। दोनों मूर्तियों की संस्कार के बाद गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस अनुष्ठान के लिए देश के अलग-अलग धार्मिक स्थलों से जुड़े 121 वैदिक आचार्य को चयनित किया गया है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे पहले आराध्य देवी मां सरयू का पूजन किया जाएगा। तीन दिन से परिसर में अनुष्ठान के लिए नव हवन कुंडों को तैयार करने का कार्य किया जा रहा है, जो कई आकार में होंगे।

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