भोपाल| भोपाल के नए कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह मंझे हुए अफसरों में गिने जाते हैं। ग्वालियर में पदस्थापना के दौरान कई मौकों पर उन्होंने इसे साबित भी किया है। वे धैर्य से समस्याओं को सुनने और निराकरण करने वाले अफसर हैं। कौशलेंद्र विक्रम सिंह का ग्वालियर में किया गया नवाचार खासा चर्चित हुआ था। उन्होंने दिव्यांगों को राशन देने के लिए बनाई गई मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना की यही से शुरुआत की थी। जिसके चलते उन्हें मुख्यमंत्री एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित भी किया गया था। 2010 बैच के अधिकारी कौशलेंद्र ग्वालियर कलेक्टर रहने के पहले विदिशा में कलेक्टर रह चुके हैं। इससे करीब 9 माह पहले उन्हें भाेपाल कलेक्टर बनाया गया था। लेकिन, आदेश जारी होने के 24 घंटों के भीतर ही उन्हें पर्यटन निगम का एमडी बनाकर भेजा गया था।
इसलिए बदल गया था कलेक्टर बनने का पुराना आदेश
कौशलेंद्र विक्रम सिंह को अप्रैल 2023 में भोपाल कलेक्टर बनाया गया था। लेकिन, 24 घंटे के भीतर ही उन्हें पर्यटन निगम का एमडी बना दिया गया, और आशीष सिंह को भोपाल कलेक्टर बनाया था। तब जो कहानी सामने आई थी उसके मुताबिक प्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की विशाल मूर्ति स्थापित किए जाने का काम तेजी से चल रहा था। इस मूर्ति की स्थापना को लेकर आरएसएस की खासी रुचि और तैयारी थी। इसी के चलते कौशलेंद्र का भोपाल कलेक्टर बनने के बाद आदेश बदला था, क्योंकि संघ ने तय किया था कि कौशलेंद्र की देखरेख में मूर्ति तैयार करने का काम तेजी से होगा। इसके बाद वे पर्यटन निगम के एमडी के साथ इस काम की मॉनिटरिंग कर रहे थे। शुक्रवार को हुए तबादले के बाद कहा जा रहा है कि कौशलेंद्र सिंह की दोबारा भोपाल की कमान सौंपने के पीछे कोई एजेंडा होगा।
ग्वालियर में कोरोना के दौरान किया था अच्छा काम
कौशलेंद्र की एक खूबी यह भी है कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में उन्हें विदिशा से ग्वालियर कलेक्टर के पद पर पदस्थ किया था। इसके बाद पूरे कोरोना काल के दौरान उन्होंने अप्रैल 2023 तक गंभीरता से काम किया और न सिर्फ ग्वालियर के लोगों का मन जीता बल्कि ग्वालियर के भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को भी साधे रखा।
जीवाजी विश्वविद्यालय के आंदोलन का वीडियो हुआ था वायरल
ग्वालियर कलेक्टर रहने के दौरान कोरोना काल में हुए जीवाजी विश्वविद्यालय के छात्र आंदोलन को खत्म करने में कौशलेंद्र की भूमिका की सराहना जमकर हुई थी। उन्होंने न सिर्फ कुछ देर में आंदोलन खत्म कराया था बल्कि नेतागिरी करने वालों को भी जेल भिजवाया था। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। तब छात्रों की लीडरशिप कर रहे शिवराज सिंह यादव ने कलेक्टर कौशलेंद्र सिंह के समक्ष खुद को नेता बताया और स्टूडेंट लीडरशिप की बात कही। इस पर कलेक्टर कौशलेंद्र ने उसे जमकर डांटा। उसे पुलिस के हवाले कर आंदोलन खत्म करा दिया। इसके पहले उन्होंने पूछा था कि वह विश्वविद्यालय में किस क्लास में पढ़ता है। उसने बताया था कि बीबीए, एमबीए कर चुका है और छात्रों का नेता है। इसके बाद सिंह ने उसे डांटते हुए कहा था कि विश्वविद्यालय परिसर में किसकी अनुमति से चिल्ला रहे हो। पुलिस से उन्होंने कहा था कि पहले इसे पकड़ो और बाद में पूरा आंदोलन ही खत्म हो गया था।