कांग्रेस ने प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकराया क्योंकि वह हिंदू धर्म की विरोधी है- भाजपा

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने संबंधी निमंत्रण कांग्रेस के तीन शीर्ष नेताओं द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद बृहस्पतिवार को दावा किया कि इस कदम से भारत की संस्कृति और हिंदू धर्म के प्रति मुख्य विपक्षी पार्टी का स्वाभाविक विरोध उजागर हो गया है। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति अपनी ‘‘ईर्ष्या, द्वेष और हीन भावना’’ के कारण कांग्रेस देश का विरोध करने की हद तक चली गई है और अब भगवान का भी विरोध कर रही है। उनका कहना था कि अयोध्या में राम मंदिर भारतीय परंपराओं और संस्कृति के उच्चतम मूल्यों का प्रतीक है, लेकिन कांग्रेस और समान मानसिकता वाले अन्य विपक्षी दलों के लिए कट्टरपंथी राजनीति अधिक महत्वपूर्ण है। त्रिवेदी ने कहा कि मंदिर और बाबरी मस्जिद से जुड़े भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष के वादी रहे इकबाल अंसारी को भी न्योता दिया गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है, लेकिन यह कांग्रेस है, जिसने समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है। उन्होंने दावा किया कि देश के लिए ऐतिहासिक क्षणों में बाधा उत्पन्न करना मुख्य विपक्षी दल की प्रवृत्ति रही है।

उन्होंने नये संसद भवन के उद्घाटन, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किए जाने, (तत्कालीन राष्ट्रपति) रामनाथ कोविंद और (राष्ट्रपति) द्रौपदी मुर्मू के संसद में अभिभाषण सहित कई कार्यक्रमों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘जब भी इतिहास का पन्ना पलटा, कांग्रेस ने साथ खड़े होने के बजाय बहिष्कार का विकल्प चुना है।’’ उन्होंने कहा कि लोग कांग्रेस को सत्ता से दूर रखे हुए हैं, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी के पास अपनी पिछली गलतियों को सुधारने का मौका था, लेकिन उसने मौका बर्बाद कर दिया। त्रिवेदी ने कांग्रेस के इस तर्क को भी खारिज किया कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले पूरे कार्यक्रम को हथिया लिया है। उन्होंने कहा कि मंदिर को लेकर लोगों के बीच कोई भेद नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे किसी संगठन या विचारधारा से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। भाजपा प्रवक्ता ने आश्चर्य जताया कि क्या कांग्रेस अब भी उस मस्जिद के पुनर्निर्माण के विचार पर कायम है, जिसे 1992 में अयोध्या में उन्मादी भीड़ ने ध्वस्त कर दिया था। उनके अनुसार, देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और उद्घाटन में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और कांग्रेस के कुछ नेताओं के सहयोग के विरोध में थे।

त्रिवेदी ने दावा किया कि कांग्रेस उनकी विरासत को जारी रख रही है और उसने महात्मा गांधी की ‘राम राज्य’ की अवधारणा को नकारा है। त्रिवेदी ने कहा कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गोहत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संतों पर गोलियां चलवाई थीं और जब कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं, तो भगवान राम के अस्तित्व से इनकार किया गया था। उन्होंने कहा कि 500 साल के संघर्ष के बाद यह मंदिर बन रहा है और इसने राष्ट्रीय गौरव जगाया है। कांग्रेस नेता- मल्लिका र्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने बुधवार को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के निमंत्रण को ‘ससम्मान अस्वीकार’ कर दिया। पार्टी ने भाजपा पर चुनावी लाभ के लिए इसे ‘राजनीतिक परियोजना’ बनाने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने बुधवार को कहा था कि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे, क्योंकि यह भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) का आयोजन है तथा ‘अर्द्धनिर्मित मंदिर’ का उद्घाटन चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में यह भी कहा था कि भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं तथा धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय है, लेकिन भाजपा और आरएसएस ने चुनावी लाभ के लिए अयोध्या के राम मंदिर को एक ‘राजनीतिक परियोजना’ बना दिया है।

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