भोपाल। जरा, सोचिए। ग्रामीण क्षेत्र में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हो या एम्स, दोनों जगह उपचार, मरीजों की देखभाल, संक्रमण की रोकथाम, दुर्घटना में घायल रोगियों का रेफरल एक जैसा हो तो रोगियों के साथ ही अस्पतालों के लिए कितना सुविधाजनक हो जाएगा। मध्य प्रदेश में अब ‘वन स्टेट-वन हेल्थ’ नीति के अंतर्गत ऐसा ही होने जा रहा है। इसकी पहल एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो.(डा.) अजय सिंह ने की है। इसे लेकर सोमवार को एम्स में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें उप मुख्यमंत्री स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राजेन्द्र शुक्ल और एम्स के अध्यक्ष डा. सुनील मलिक भी शामिल हुए। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वन स्टेट-वन हेल्थ’ नीति लागू करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। यह एम्स का सराहनीय प्रयास है। एम्स द्वारा चिकित्सा शिक्षा के विभिन्न आयामों में सहयोग दिया जा रहा है। एम्स के अनुभव से नि:संदेह प्रदेश को स्वास्थ्य के क्षेत्र में लाभ होगा। जिला स्तर के साथ प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं को भी विस्तारित और सशक्त किया जा रहा है। संगोष्ठी में अपर आयुक्त चिकित्सा शिक्षा डां. पंकज जैन सहित एम्स भोपाल और अन्य शासकीय तथा निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के शिक्षक, चिकित्सक, विशेषज्ञ उपस्थित थे।
‘वन स्टेट-वन हेल्थ’ से यह होगा लाभ
मान लीजिए कोई व्यक्ति दुर्घटना में घायल हो गया, जल गया, दिल का दौरा पड़ गया या किसी संक्रामक बीमारी की चपेट में आ गया तो छोटे अस्पताल में वही दवाएं, वहीं उपचार व उपचार का वही तरीका अपनाया जाएगा जो एम्स में चलता है। एम्स भोपाल के निदेशक डा. अजय सिंह ने कहा कि ई-कंसल्टेशन और ई-आइसीयू के द्वारा राज्य के दूर-दराज क्षेत्रों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। यह नीति लागू करने के लिए एम्स द्वारा स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। एक जैसा उपचार होने पर किसी रोगी को छोटे अस्पताल से एम्स में रेफर किया जाता है तो नए सिरे से उपचार शुरू करने की आवश्यकता नहीं होगी।