मोहन भागवत मृत्युंजय आश्रम में शिव पूजा में शामिल हुए।
डा भागवत ने कहा कि महाराज शिवाजी से प्रेरणा लेने की जरुरत है।
व्यक्ति स्वयं सुधर जाए तो समाज अपने आप विकसित हो जाएगा।
अनूपपुर। मजबूत भारत निर्माण के लिए अनुशासित, चरित्रवान, संस्कारित समाज निर्माण की जरुरत है। जिसके लिए साधू-संतों को आश्रमों से बाहर निकल कर आगे आना होगा। छत्रपति वीर शिवाजी की तरह सख्त अनुशासन, संस्कारित जीवन और चरित्रबल के बूते विकसित मजबूत भारत का निर्माण होगा। मां नर्मदा की उद्गम नगरी अमरकंटक एक दिवसीय प्रवास पर आए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा मोहन भागवत ने साधू-संतों, समाजसेवियों को संबोधित करते हुए यह विचा र व्यक्त किए। रविवार की प्रात: मृत्युंजय आश्रम में एकरसानंद आश्रम के संत स्वामी हरिहरानंद सरस्वती के साथ मंचासीन डा भागवत ने सनातन संस्कृति, हिन्दू धर्म, मजबूत भारत के निर्माण, पर्यावरण संरक्षण पर खुल कर अपने विचार रखे।
पवित्र नगरी अमरकंटक के साधु-संतों का अभिनंदन करते हुए डा भागवत ने कहा कि महाराज शिवाजी से प्रेरणा लेने की जरुरत है। जिनके संस्कार और चरित्र की दुश्मन भी तारीफ करते थे। इनके जैसा चरित्रवान बनने की आवश्यकता है। संतों के प्रवचन से चरित्र एवं संस्कार के माध्यम से समाज सुधार करवाने में बहुत मदद मिलेगी। हिन्दू समाज के व्यक्तियों को स्वयं को संस्कारित करने की आवश्यकता है। व्यक्ति स्वयं सुधर जाए तो समाज अपने आप विकसित हो जाएगा। देश में हिन्दू जागरण का अच्छा माहौल है,लेकिन युवा पीढ़ी को शिवा जी के चरित्र निर्माण की शिक्षा लेने की जरुरत है। दूसरों को उपदेश देने से पहले अपने आचरण में सुधार लाने की आवश्यकता है।
संतों के माध्यम और उपदेश से हिन्दू संस्कृति चलती है। आश्रमों से निकलकर समाज विकास हेतु आगे आना पड़ेगा। अमरकंटक के पर्यावरण को लेकर उन्होंने कहा कि अपने से हमें स्वयं भी वृक्षारोपण करना चाहिए। इससे अमरकंटक को हरा- भरा रखने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर स्वामी हरिहरानंद ने सरसंघचालक को एक पत्र सौंप कर तीन मांगें रखीं। पहला पूजा स्थल कानून 1991 समाप्त हो।दूसरा मुस्लिम वक्फ बोर्ड भंग हो। तीसरा नर्मदा लोक का निर्माण अमरकंटक में हो। अमरकंटक के संत समाज द्वारा जगदीशानंद के माध्यम से भी आश्रमों की लीज बढ़ाने के विषय में एक पत्र सौंपा गया।
उद्गम स्थल पर मां नर्मदा की पूजा
डा मोहन भागवत रविवार की सुबह मां नर्मदा उद्गम मन्दिर अमरकंटक पहुंचकर माता नर्मदा के दर्शन कर मुख्य उद्गम कुंड में पूजा अर्चना कर विश्व कल्याण के लिये प्रार्थना की। इस दौरान भैया जी जोशी एवं क्षेत्र,प्रांत के वरिष्ठ प्रचारक थे।
वक्फ बोर्ड को दी गई शक्तियों को समाप्त करने आग्रह
रविवार सुबह मृत्युंजय आश्रम में चल रहे विशेष धार्मिक अनुष्ठान में मोहन भागवत शामिल हुए। प्रमुख संतों,प्रचारकों के साथ उन्होंने यहां हवन और आरती में हिस्सा लिया। स्वामी एकरसानंद आश्रम के प्रमुख परमपूज्य संत स्वामी हरिहरानंद सरस्वती महाराज के साथ डा भागवत और भैया जी ने सौजन्य भेंट की।यहां अतिथि द्वय को महाराज जी ने आश्रम परिवार की तरफ से साल,श्रीफल और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया। लगभग एक घंटे तक यहां त्रिमूर्तियों के मध्य विविध महत्वपूर्ण विषयों पर आन्तरिक चर्चा होती रही।स्वामी हरिहरानंद ने सभी आश्रमवासियों सहित भागवत जी का आभार प्रदर्शन करते हुए वक्फ बोर्ड को दी गई शक्तियों को समाप्त करने हेतु निवेदन किया।
संघ के पदाधिकारियों की ली गई बैठक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक के अमरकंटक आगमन से पूर्व ही यहां संघ की दृष्टि से विशेष आन्तरिक तैयारियां की गयी थीं। संघ के क्षेत्र, प्रांत, विभाग, जिले के चुनिंदा पदाधिकारियों को छोड़कर किसी को भी यहां प्रवेश की अनुमति नहीं थी। संघ के सामान्य समर्पित स्वयंसेवकों, भाजपा नेताओं को यहां आने की अनुमति नहीं दी गयी थी।रविवार की दोपहर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों को डा भागवत ने विविध विषयों पर संबोधित किया।
अमरकंटक के संरक्षण को लेकर साधू संतों ने बैठक में दिए सुझाव
अमरकंटक प्रवास के दौरान मोहन भागवत अमरकंटक क्षेत्र के समस्त आश्रम व अन्य स्थान के संतों से भी मुलाकात रविवार को की। जिसमें महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती महाराज मृत्युंजय आश्रम, श्रीमहंत स्वामी राम भूषण दास महाराज शांति कुटी, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्णानंद मार्कण्डेय आश्रम, स्वामी जगदीशानंद, स्वामी धर्मानंद महाराज कल्याण सेवा आश्रम, स्वामी लवलीन महाराज, धारकुंडी आश्रम, स्वामी नर्मदानंद महाराज, गीता स्वाध्याय मंदिर, जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामराजेश्वराचार्य, फलाहारी आश्रम, श्रीयंत्र मंदिर से हरि चैतन्य पुरी, गोपाल आश्रम से हनुमानदास महा राज, अरंडी संगम आश्रम से समाज सेवी त्रिभुवेन्द्र कुमार दास, माई की बगिया से स्वामी शुद्धात्मानंद, नर्मदानंद गीता आश्रम, सोमेश्वर गिरी सोन मूड़ा के साथ अन्य साधू-संतगणों ने अमरकंटक, नर्मदा संरक्षण पर अपने विचार रखते हुए सुझाव दिए।