नई दिल्ली| भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने रविवार को सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह प्रक्षेपण नियमित अभ्यास का हिस्सा था। इस अभ्यास ने न केवल आकाश ने सटीक निशाना लगाया बल्कि अपनी चपलता और सफलता से अचंभित भी किया। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन निर्मित मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली आकाश एक मिसाइल प्रणाली है। आकाश मिसाइल प्रणाली को पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने तकनीक से लेकर पूरे प्रणाली तक को स्वयं ही तैयार किया है। भारतीय सेना ने परीक्षण को मील का पत्थर बताया है।
इस योजना तक तहत किया गया विकसित
भारत ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत आकाश मिसाइल सिस्टम को विकसित किया है। इसके साथ ही नाग, अग्नि और त्रिशूल मिसाइल और पृथ्वी बैलिस्टिक मिसाइल का विकास भी इसी प्रोग्राम के अंतर्गत किया गया है।
भारतीय सेना और वायु सेना के दो संस्करण
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना के लिए दो अलग संस्करण बनाए हैं। इसमें आकाश से आकाश में मार करने वाली मिसाइल और जमीन से हवा में प्रहार करने वाली मिसाइल प्रणाली शामिल है। यह मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों को तबाह कर सकती है।
2012 में मिली थी भारतीय वायुसेना को पहली मिसाइल
भारतीय वायुसेना ने मई 2015 में आकाश मिसाइलों के पहले बैच को शामिल किया था। पहली आकाश मिसाइल मार्च 2012 में भारतीय वायुसेना को सौंपी गई थी, जबकि औपचारिक रूप से जुलाई 2015 में वायुसेना में इसे शामिल किया गया था।