पवार का गढ़ दांव पर, सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार ने नामांकन में किया शक्ति प्रदर्शन

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बारामती से एनसीपी कार्यकर्ता दशकों से शरद पवार परिवार की पूजा करते आए हैं, आज विभाजन के बाद विभाजित भावनाएं पाले हुए हैं.

मुंबई| पुणे देश का प्रमुख आईटी हब है. महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. यहां कई प्रमुख उद्योग भी हैं. महाराष्ट्र के पुणे जिले में चार लोकसभा सीटें आती हैं और इनमें “बारामती” की सीट सबसे अहम है. जहां ननद सुप्रिया सुले और भाभी सुनेत्रा पवार की टक्कर है. इस टक्कर के लिए सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधन के तमाम बड़े चेहरे इसी पुणे शहर में पहुंचे हैं, क्योंकि पवार का गढ़ दांव पर लगा है.

पुणे जिला क्यों अहम?
इस जिले में राज्य में सबसे अधिक 82.8 लाख पंजीकृत मतदाता हैं. वहीं पूरे राज्य में कुल 9.2 करोड़ मतदाता हैं. पुणे जिले में चार लोकसभा सीटें आती हैं. बारामती, पुणे, शिरूर और मावल. बारामती सबसे ज़्यादा चर्चा में है, लेकिन बाक़ी सीटों की लड़ाई भी दिलचस्प है. शिरूर और बारामती लोकसभा सीट पर शरद पवार गुट अजित पवार गुट के खिलाफ है, तो मावल में शिंदे गुट के खिलाफ शिवसेना का ठाकरे गुट खड़ा है. वहीं पुणे लोकसभा सीट पर लड़ाई त्रिकोणीय है. बारामती लोकसभा सीट पर पवार Vs पवार है. दोनों ने शक्ति प्रदर्शन के साथ पुणे में अपना-अपना नामांकन दाखिल किया. दोनों के गठबंधनों के सभी बड़े चेहरे साथ थे . सुप्रिया सुले बनाम सुनेत्रा पवार की लड़ाई पर तो देश की निगाहें हैं ही, मावल लोकसभा सीट पर संजोग वाघेरे (शिव सेना, ठाकरे गुट) बनाम श्रीरंग बारणे (शिवसेना, शिंदे गुट) ने भी लोकसभा चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. शिरूर लोकसभा सीट पर अमोल कोल्हे (राष्ट्रवादी, शरद पवार समूह) बनाम अधा राव पाटिल (राष्ट्रवादी, अजित पवार समूह) का मुकाबला है. पुणे लोकसभा सीट पर लड़ाई त्रिकोणीय है.यहां रवींद्र धांगेकर (कांग्रेस) बनाम मुरलीधर मोहोल (भाजपा) है लेकिन गणित बिगाड़ने के लिए वसंत मोरे (वंचित) भी मैदान में हैं.

“घड़ी वही, समय बदला”
बारामती पचास साल से शरद पवार का गढ़ रहा है. यहां से शरद पवार एकतरफ़ा जीत के साथ बेटी सुप्रिया सुले को संसद भेज रहे थे. अब तक उनका प्रचार करने वाले अजित पवार अब अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को बहन के ख़िलाफ़ खड़ा कर चुके हैं. भाभी-ननद का रिश्ता अब महायुति और महाविकास अघाड़ी का अखाड़ा बन चुका है. नामांकन भरने के बाद सुनेत्रा पवार ने कहा कि घड़ी वही है पर समय बदल गया है. घड़ी को वोट मोदी को ही जाएगा. वहीं अपने दौरे के दौरान एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बात करते हुए सुप्रिया सुले कहती हैं परिवार में सब ठीक है, लड़ाई विचारधारा की है. देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में हर सीट पर लड़ाई मोदी बनाम राहुल गांधी बताई थी. इस पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहब थोराट कहते हैं कि बारामती सीट पर ताई जीतेगी. यहां मोदी-राहुल की लड़ाई नहीं. सुप्रिया सुले को ही जीत मिलेगी.

पूरा गणित पलट चुका
महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवारों ने पुणे की 3 सीटों बारामती, शिरूर और पुणे के लिए नामांकन दाखिल किए. हालांकि, सियासी सूरत पलक झपकते कब बदले ये समझना मुश्किल पड़ता है. बारामती से एनसीपी कार्यकर्ता दशकों से शरद पवार परिवार की पूजा करते आए हैं, आज विभाजन के बाद विभाजित भावनाएं पाले हुए हैं. 2019 के चुनावों में एनसीपी ने शिरूर और बारामती दो सीटें जीतीं थीं. वहीं, बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने पुणे और मावल निर्वाचन क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी. 2024 के लोकसभा में पार्टियों का विभाजन और अलगाव पूरा गणित पलट चुका है. पुणे सीट से बीजेपी उम्मीदवार मुरलीधर मोहोल ने कहा कि मैं बूथ लेवल का नेता हूं. काम देखिए, कितना हुआ है. मेट्रो, रिवरफ्रंट, सब विकास के नाम पर हमको वोट देंगे. वहीं, पुणे सीट से कांग्रेस उम्मीदवार धांगेकर ने कहा कि कोई टक्कर नहीं है. हम जीतेंगे. मेट्रो का प्रस्ताव हम लाए थे.

टूटफूट क्या असर दिखाएगी?
महाराष्ट्र का सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्र पुणे उल्लेखनीय परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है. पुणे में तेजी से शहरीकरण और आर्थिक विकास जारी है. बीते साल ही पीएम मोदी ने मेट्रो रेल सेवा को हरी झंडी दिखायी. साथ ही महत्वाकांक्षी वाटरफ्रंट विकास परियोजनाओं जैसे कई प्रोजेक्ट्स क़तार में हैं. बीजेपी इसी विकास के नाम पर मतदाताओं तक पहुंच रही है. पुणे में क़रीब 25-30% स्टूडेंट्स हैं. इसलिए इसे शिक्षा केंद्र भी कहा जाता है. बड़ी संख्या में दूसरे ज़िलों से पलायन कर यहां पढ़ने और जॉब की तलाश में आते हैं. स्टूडेंट्स कहते हैं कि विकास तो हुआ है पर जॉब की समस्या अब सता रही है. पुणे शहर और दो पड़ोसी सीटों मावल और शिरूर पर तीसरे फ़ेज़ में 13 मई को मतदान होगा, जबकि जिले की बारामती सीट पर 7 मई को मतदान होगा. देखते हैं पुणे ज़िले की चार सीटों पर पार्टियों में हुई टूटफूट क्या असर दिखाती है?

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