भोपाल| बेटी डॉक्टर बनने का सपना लेकर भोपाल आई थी। 10 महीने पहले उसका डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए एडमिशन कराया था। इस दिन वह बहुत खुश थी। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। लेकिन, 10 महीने में ही सब कुछ खत्म हो गया। हम उसकी लाश लेकर अपने घर खरगोन जा रहे हैं। इतना कहते ही देवी सिंह मोरे की आंखों से आंसू छलक गए। वे सोमवार को चिरायु मेडिकल कॉलेज में सुसाइड करने वाली मेडिकल स्टूडेंट रानी मोरे के पिता हैं।
देवी सिंह मोरे ने बताया कि हम लवकुश कॉलोनी खरगोन में रहते हैं। मैं सरकारी स्कूल में शिक्षक हूं। रानी सहित मेरी दो बेटी और दो बेटे हैं। रानी की स्कूली शिक्षा हिंदी मीडियम से हुई। वह स्कूल में हमेशा क्लास में अव्वल रहती थी। 10 महीने पहले रानी ने चिरायु मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था। वह डॉक्टर बनने के सपने के साथ भोपाल आई थी। कॉलेज में एडमिशन के बाद कुछ समय तक सब ठीक चला। बेटी हमेशा से पढ़ने में बेहद होशियार थी। लेकिन, इंग्लिश कमजोर होने के कारण उसका परफॉर्मेंस उम्मीद से कम होने लगा था। इसे लेकर वह अकसर बात करती थी। इसी वजह से वह बीते चार महीनों से डिप्रेशन में थी।
मेडिकल की पढ़ाई इंग्लिश में बेहद कठिन है
पिता देवी सिंह ने बताया कि बेटी पढ़ाई को लेकर बेहद संजीदा रहती थी, लेकिन कॉलेज में पढ़ाई का परफॉर्मेंस बिगड़ने लगा था। वह अक्सर कहती थी कि इंग्लिश में कोर्स होने के कारण बहुत सी चीजें समझ में नहीं आती हैं। इसे लेकर कई बार शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता है। मेडिकल की पढ़ाई इंग्लिश में बेहद कठिन है।
क्लासेस से फ्री होकर हर रोज करती थी फैमिली से बात
देवी सिंह रविवार को आखिरी बार बेटी से बात हुई थी। तब भी बेटी ने किसी परेशानी का जिक्र नहीं किया था। वह सामान्य बात कर रही थी। पढ़ाई को लेकर हुई बातचीत के संबंध में उसने इंग्लिश में सिलेबस होने से परेशानी का जिक्र किया था। कॉलेज में कभी किसी प्रकार की परेशानी होने का जिक्र रानी ने कभी नहीं किया।