तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने जारी किया समन, गृहमंत्री शाह से जुड़ा है मामला

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हैदराबाद, तेलंगाना| केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के वीडियो से साथ छेड़छाड़ कर उसे वायरल करने के मामले में दिल्ली पुलिस ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को समन जारी किया है। इसके साथ ही पुलिस ने तेलंगाना कांग्रेस के इकाई को भी नोटिस जारी किया है। बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने अपने तेलंगाना रैली के दौरान मुसलमानों के लिए आरक्षण समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई थी, लेकिन वीडियो से छेड़छाड़ कर यह जताने की कोशिश की गई कि वह सभी वर्गों के लिए आरक्षण समाप्त करने की बात कर रहे हैं।

गृह मंत्रालय और बीजेपी ने रविवार को दर्ज कराया था मुकदमा
सूत्रों ने बताया कि फेक वीडियो शेयर करने वाले कुछ कांग्रेसी नेताओं सहित पांच और लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की साइबर शाखा के आईएफएसओ ने मामले में एफआईआर दर्ज कराया गया है।

आईपीसी के तहत दर्ज किया मुकदमा
स्पेशल सेल ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153, 153ए, 465,469 तथा 171जी, और आईटी एक्ट की धारा 66सी के तहत मामला दर्ज किया गया है। और आईटी एक्ट के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कुछ छेड़छाड़ किए गए वीडियो ‘समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने के इरादे से सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं, जिससे शांति व्यवस्था बिगड़ने की संभावना है’। इससे पहले भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया था कि तेलंगाना कांग्रेस का एक धरा अमित शाह के छेड़छाड़ किये हुए वीडियो को वायरल कर रहा है जिससे बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क सकती है।

वीडियो के सामने आने के बाद विवाद पैदा हो गया
सूत्र ने बताया, “मामले की जांच चल रही है। हम वीडियो के मूल तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। जिन लोगों ने इसे पोस्ट किया है उनसे पूछताछ की जाएगी और जांच में शामिल होने के लिए उन्हें नोटिस दिये जायेंगे।” एफआईआर में, जिसकी कॉपी आईएएनएस के पास उपलब्ध है, गृह मंत्रालय ने अपनी शिकायत में कहा है कि “फेसबुक और ट्विटर के यूजरों द्वारा कुछ छेड़छाड़ किये गये वीडियो” सर्कुलेट करने की जानकारी मिली है। शिकायत में मंत्रालय ने वीडियो के लिंक भी साझा किये थे। इस वीडियो के सामने आने के बाद विवाद पैदा हो गया था जिससे ऐसा लगता है कि गृह मंत्री अमित शाह की मंशा अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटा) ओर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण समाप्त करने की है।

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