मोहिनी एकादशी पर जपें 5 मंत्र, मिलेगा हर एकादशी का फल

धर्म-आस्था

मोहिनी एकादशी सभी एकादशी में विशेष है, इस एकादशी पर भगवान विष्णु के प्रिय मंत्रों के जाप से इस लोक से परलोक तक का जीवन संवर जाता है। भौतिक सुख तो मिलते ही हैं, इसके प्रभाव से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। आइये जानते हैं मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा के मंत्र

भोपाल| एकादशी व्रत भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में दो एकादशी पड़ती है, जिसमें लोग सृष्टि संचालक विष्णु जी की पूजा अर्चना और व्रत रखते हैं। लेकिन वैशाख शुक्ल एकादशी सभी एकादशी में ये खास है। मान्यता है कि मोहिनी एकादशी पर पूजा अर्चना से सभी एकादशी का फल मिल जाता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के इन पांच मंत्रों को जपें तो वो आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। साथ ही जीवन के सभी कष्ट दूर कर धन वैभव, सुख समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करते हैं।

मोहिनी एकादशी रविवार 19 मई 2024
मोहिनी एकादशी व्रत पारण (व्रत तोड़ने का) समयः सुबह 5.37 बजे से 8.17 बजे तक
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समयः दोपहर 03:58 बजे
इससे पहले वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभः 18 मई 2024 को सुबह 11:22 बजे
एकादशी तिथि समापन समयः 19 मई 2024 को दोपहर 01:50 बजे तक

मोहिनी एकादशी के विशेष मंत्र
वाराणसी के पुरोहित पं शिवम तिवारी के अनुसार मोहिनी एकादशी पर जो भी भक्त भगवान विष्णु का ध्यान करता है, यदि इस दिन वह नीचे लिखे विशेष मंत्रों को जपता है तो उसे वर्षभर में पड़ने वाली सभी एकादशी का उसे फल प्राप्त हो सकता है। पं तिवारी के अनुसार वैसे तो भगवान विष्णु की पूजा में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप काफी लाभकारी और भगवान को शीघ्र प्रसन्न करने वाला है। लेकिन भगवान विष्णु को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों में से किसी एक का भी जाप करना चाहिए…
विष्णुजी का मूल मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥
श्री हरि के अन्य मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

विष्णु शांताकारम् मंत्र
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

मंगलम् भगवान विष्णु मंत्र
मंगलम् भगवान विष्णुः, मंगलम् गरुणध्वजः।
मंगलम् पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥

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