भोपाल। मध्य प्रदेश की विधानसभा एक वर्ष के भीतर पेपरलेस हो जाएगी। सभी काम आनलाइन होंगे। यहां तक की सदस्यों को सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्न भी आनलाइन स्क्रीन पर नजर आएंगे। इसके लिए सभी सदस्यों के टेबल पर स्क्रीन लगेगी। 23 करोड़ रुपये की इस ई विधान परियोजना को लेकर सोमवार को नई दिल्ली स्थित संसद भवन में संसदी य कार्य मंत्रालय, विधानसभा सचिवालय और संसदीय कार्य विभाग के बीच अनुबंध हुआ। प्रदेश में ई-विधान परियोजना को लागू करने की तैयारी पिछले दो-तीन वर्ष से चल रही है। इसको लेकर केरल समेत अन्य राज्यों का दौरा विस सचिवालय के अधिकारी कर चुके हैं। केंद्र सरकार का संसदीय कार्य मंत्रालय इस परियोजना के लिए 60 प्रतिशत राशि देने भी तैयार है। नरेन्द्र सिंह तोमर के विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद इस काम में तेजी आई और सोमवार को अनुबंध हो गया।
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि ई विधान परियोजना का तेजी के साथ क्रियान्वयन किया जाएगा। अभी विधान सभा कार्यवाही के कम्प्यूटरीकरण, प्रश्नों व अन्य सूचनाओं को सदस्यों से लेकर विभागों से ऑनलाइन जवाब प्राप्त करने की व्यवस्था है। अनुबंध होने के बाद अब ई विधान परियोजना पर तेजी से काम होगा। इस अवसर पर उपस्थित संसदी य मंत्रालय के सचिव उमंग नरूला ने कहा कि नए संसद भवन के समन्वय कक्ष में यह पहला अनुबंध मध्य प्रदेश विधानसभा से हुआ है। अन्य राज्यों ने मध्य प्रदेश से सीखा है। संसदीय कार्य मंत्रालय और राष्ट्रीय सूचना केंद्र द्वारा मिशन मोड प्रोजेक्ट के लिए पूरा सहयोग दिया जाएगा। अनुबंध पत्र पर विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह, संसदीय कार्य मंत्रालय अपर सचिव डा.सत्य प्रकाश और मध्य प्रदेश शासन की ओर से अपर सचिव संसदीय कार्य विभाग राजेश गुप्ता ने हस्ताक्षर किए।
एक प्लेटफार्म पर आएगी सभी विधानसभाएं
ई विधान व्यवस्था का उद्देश्य देश की सभी विधानसभाओं को एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म पर लाना है। इससे एक-दूसरे के नवाचार पता लगेंगे और विचारों का आदान प्रदान भी होगा। इस व्यवस्था लागू होने के बाद विधानसभा के कागज में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष बचेंगे।