एफएटीएफ ने आतंकवाद की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए भारत के प्रयासों को सराहा

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नई दिल्ली। भारत ने फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की आवश्यकताओं के अनुरूप एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग आतंकियों की फाइनेंसिंग रोकने (सीएफटी) और बड़े विनाशक हथियारों के प्रसार रोकने में तकनीकी अनुपालन का सराहनीय स्तर हासिल किया है और इससे सकारात्मक परिणाम मिले हैं। एफएटीएफ की ओर से यह जानकारी दी गई है।2023-24 में एफएटीएफ द्वारा किए गए पारस्परिक मूल्यांकन में भारत को बड़ी सफलता मिली है। 26 जून से लेकर 28 जून के बीच हुई एफएटीएफ की पूर्ण बैठक में म्यूचुअल इवैल्यूएशन ऑफ इंडिया को अपनाया गया है। भारत को ‘रेगुलर फॉलो-अप’ में रखा गया है। यह उपलब्धि जी20 के केवल 4 अन्य देशों के पास है। भारत की यह उपलब्धि मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फाइनेंसिंग रोकने के उसके प्रयासों को दिखाती है। एफएटीएफ की ओर से भारत के प्रयासों की कई क्षेत्रों में मान्यता दी गई है।

भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फाइनेंसिंग के खतरे की पहचान की है। इसमें भ्रष्टाचार, जालसाजी और संगठित अपराध आदि पर विशेष ध्यान दिया गया है। मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फाइनेंसिंग रोकने के लिए अर्थव्यवस्था को नकद से डिजिटल की ओर शिफ्ट किया गया है। सरकार ने जेएएम (जन धन, आधार और मोबाइल) को अच्छे से लागू किया है। साथ ही कैश को लेकर सख्त नियम बनाए हैं। इन प्रयासों के कारण वित्तीय सेवाओं और डिजिटल लेनदेन की पहुंच आखिरी व्यक्ति तक हुई है। इससे लेनदेन पर निगाह रखने में सफलता मिली है और मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फाइनेंसिंग को रोकने में मदद मिली।

एफएटीएफ की रिपोर्ट में भारत के मजबूत प्रदर्शन से अर्थव्यवस्था को भी सहारा मिलेगा। इससे रेटिंग पर सकारात्मक असर होगा। ग्लोबल फाइनेंसियल मार्केट्स और संस्थाओं तक पहुंच बढ़ेगी और निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा। इसके अलावा यूपीआई को वैश्विक स्तर पर ले जाने में भारत को सफलता मिलेगी। 2014 के बाद से भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फाइनेंसिंग और गैरकानूनी फंड्स को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। अपने प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया है और इसमें सफलता मिली है। सरकार ने आतंकवाद की फंडिंग रोकने के लिए इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हुए जरूरी एक्शन लिया है। फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की स्थापना 1989 में की गई थी। यह अंतर सरकारी संगठन है, जो कि इंटरनेशनल फाइनेंसियल सिस्टम को मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद की फंडिंग और अन्य खतरों से बचाता है। भारत ने एफएटीएफ की सदस्यता 2010 में ली थी।

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