सुको से लगा शिवकुमार को झटका, सीबीआई की प्राथमिकी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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नई दिल्ली। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एस सी शर्मा की पीठ ने कहा कि वह कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती। पीठ ने कहा, ‘‘माफ कीजिए। इसे खारिज किया जाता है।’’ सुनवाई शुरू होने पर शिवकुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 17ए के तहत मंजूरी प्राप्त किए बिना मामले की जांच शुरू कर दी गई।

रोहतगी ने कहा कि जब आयकर विभाग पहले से ही जिस मामले की जांच कर रहा है तो उसी लेनदेन के लिए सीबीआई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती। बहरहाल, पीठ ने मामले पर सुनवाई से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत शिवकुमार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय के 19 अक्टूबर 2023 के आदेश को चुनौती दी है। इस आदेश में उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने सीबीआई को अपनी जांच पूरी करने और तीन महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया था। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि शिवकुमार ने 2013 से 2018 के बीच आय के अपने ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की। वह उस समय तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मंत्री थे।

सीबीआई ने तीन सितंबर 2020 को प्राथमिकी दर्ज की थी और शिवकुमार ने 2021 में उच्च न्यायालय में प्राथमिकी को चुनौती दी थी। आईटी विभाग ने 2017 में शिवकुमार के कार्यालयों और आवास पर तलाशी तथा जब्ती अभियान चलाया था, जिसके आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके खिलाफ अपनी जांच शुरू की थी। ईडी की जांच के आधार पर, सीबीआई ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी मांगी। राज्य सरकार द्वारा 25 सितंबर, 2019 को मंजूरी दी गई थी और एक साल बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। शिवकुमार ने एक अलग याचिका में राज्य द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी थी जिसे पहले ही उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।

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