प्रगति और प्रकृति के विकास पर संतुलित नजर मोहन सरकार की

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अक्सर देखने में आता है कि प्रगति के नाम पर आदमी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने से बाज नहीं आता। बल्कि यह लिखना उचित रहेगा कि प्रगति की आड़ लेकर इंसान प्रकृति के समूल नाऊ पर अड़ा हुआ है। यही कारण है कि पर्यावरण बिगड़ रहा है और जीव मात्र के अस्तित्व पर संकट खड़े होते चले जा रहे हैं। कहीं पर अति वृष्टि से लोक परेशान है तो कई इलाकों में पानी के अभाव के चलते सूखा पड़ा हुआ है। आंधी तूफान भी आते हैं तो विनाश लीला दिखाकर चले जाते हैं। इस प्रकार देखें तो साल के 12 महीने प्रकृति अपने विपरीत तेवर ही दिखाते दिखाई देती है। लिखने का आशय यह कि विकास अर्थात प्रगति के नाम पर इंसान जो कुछ भी कर रहा है, उस पर एक बार फिर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। लेकिन मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार इस मामले में बेहद संतुलित और जागरूक नजर आती है। देखने में आ रहा है कि मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव जितने उत्सुक प्रदेश के विकास को लेकर दिखाई देते हैं, उतने ही जागरूक पर्यावरण के प्रति भी हैं। यही कारण है कि जब उनकी कार्य प्रणाली पर नजर जाती है तो इस बारे में उनका बेहद संतुलित दृष्टिकोण दिखाई देता है। उदाहरण के लिए हम देख सकते हैं कि आजकल उन्होंने मध्य प्रदेश में नए-नए उद्योग खड़े करने, निजी क्षेत्र में उद्योगों के पक्ष में वातावरण निर्मित करने, बाहरी निवेशकों को इसके लिए आकर्षित कर फिर मध्य प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए तैयार करने को लेकर उन्होंने एक युद्ध साथ छेड़ रखा है। अभी हाल ही में उन्होंने उज्जैन जबलपुर और दक्षिण प्रदेश में सम्मेलन आयोजित किये । इनमें देश और प्रदेश के अनेक उद्योगपति तथा बड़े-बड़े व्यवसायी शामिल हुए। जिन्होंने मध्य प्रदेश में निवेश करके यहां पर अपने उद्योग व्यापार स्थापित करने में रुचि दिखाई है। अब डॉक्टर मोहन यादव कुछ ऐसा सोचने जा रहे हैं जिसके चलते ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट आयोजित किए जाने की तैयारी स्पष्ट दिखाई देने लगी है। यानि कि अभी तक डॉक्टर मोहन यादव मध्य प्रदेश और प्रदेश से बाहर के उद्योगपतियों व व्यवसाईयों को ही मध्य प्रदेश में उद्योग धंधे लगाने के लिए मना रहे थे। लेकिन अब उन्होंने देश के बाहर के अंतरराष्ट्रीय धनवानों को यहां बुलाने का बीड़ा उठाया है। उम्मीद की जा सकती है कि इसके बेहतर परिणाम भी जल्दी ही सामने आएंगे। भारी तादाद में यहां औद्योगिक निवेश होगा तो मध्य प्रदेश शासन का खजाना तो भरेगा ही, इससे भी बढ़कर युवा लोगों को रोजगार मिलने की संभावनाएं कई गुना अधिक बढ़ने वाली है। बेशक विपक्ष इस कार्य प्रणाली को लेकर अनेक किंतु परंतु खड़े कर रहा है। लेकिन गौर से देखें तो प्रदेश के विकास के मद्दे नजर यहां सकारात्मक कदम उठाए जाने लगे हैं। इसी नीति के तहत अब छोटे और सूक्ष्म उद्योगपतियों के लिए या यूं कहें कि व्यवसाइयों के लिए प्लस एंड प्ले पार्क का काम शुरू हो गया है। इससे कम पूंजी के बूते पर निर्माण कार्यों में लगे छोटे और सूक्ष्म उद्योगों के मालिक यहां आकर भारी भरकम मशीनों की सेवाएं थोड़ा सा किराया चुका कर प्राप्त करने वाले हैं। उदाहरण के लिए- कोई व्यक्ति छोटे स्तर पर दूध उत्पादन का संयंत्र लगाना चाहता है। लेकिन उसके पास पूंजी का अभाव है। ऐसे में दूध अथवा अन्य दुग्ध उत्पादों को पाश्चुराइज और पैक करने के लिए प्लग और प्ले पार्क में मशीनें उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे कम पूंजी वाले लोग अपना सामान यहां उपयोग के लिए तैयार और पैक करके बाजार में बेच पाएंगे। इससे एक ओर पूंजी की समस्या का हल निकलेगा और दूसरी ओर रोजगार के पथ पर बढ़ता हुआ युवा कर्ज के दबाव में आने से भी बचेगा। यदि धरातल पर देखें तो यह कॉन्सेप्ट युवाओं को पसंद भी आ रहा है।
यह तो हुई विकास की बात, अब थोड़ी प्रकृति की ओर भी निगाह डाल लेते हैं। इस और डॉक्टर मोहन यादव ने कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में एक बड़े आयोजन को संबोधित किया। इसमें उन्होंने बाघ संरक्षण और चुनौतियां को लेकर अपने विचार रखे। फल स्वरूप स्पष्ट देखने को और समझने को मिला कि मध्य प्रदेश की मोहन सरकार प्रकृति को लेकर भी बेहद जागरूक है। क्योंकि इस चिंतन से यह बात निकाल कर सामने आई की जितना जोर भौतिक विकास पर दिया जा रहा है, उतना ही प्रकृति की साज संभाल पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बाघों के सुरक्षित रहने से जंगलों में जैविक संतुलन बना रहता है। इससे भी ज्यादा सकारात्मक बात यह है कि उनकी उपस्थिति से जंगलों की सुरक्षा बनी रहती है। जिसके चलते पर्यावरण भी सकारात्मक बना रहता है। उन्होंने वन मंत्री रामनिवास रावत, राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार सहित अनेक अधिकारियों और विषय विशेषज्ञों की मौजूदगी में अपनी मंशा स्पष्ट कर दी कि इस मामले में किसी भी प्रकार की ढिलाई मंजूर नहीं होगी। वैसे भी यह बात किसी से छुपी नहीं है कि बाघों के मामले में मध्य प्रदेश पूरे भारत को एक प्रकार से प्रतिनिधित्व देने के रूप में अग्रणी बना हुआ है। अब यहां चीतों को भी आश्रय मिलने से नए-नए पर्यटन केंद्र और पर्यटन उद्योग विकसित हो रहे हैं। इनमें ज्यादातर ग्रामीण लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। फल स्वरुप यहां के निवासियों की आर्थिक स्थिति निरंतर सुधार रही है। इस प्रकार देखें तो प्रकृति और प्रगति के बीच बेहद संतुलित और सकारात्मक मेलजोल स्पष्ट दिखाई देता है। इन सबसे हटकर आम जनता की सुरक्षा का मामला देखें तो यह धारणा और अधिक स्पष्ट होती है कि मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव इस मामले में भी बेहद सजग बने हुए हैं। यह उदाहरण उस वक्त और स्पष्टता के साथ देखने को मिला जब मुख्यमंत्री दो दिन के लिए दिल्ली गए और वहां से फारिग होकर मध्य प्रदेश में लौटे तो यहां पहुंचते पहुंचते उन्हें आधी रात का समय हो चुका था। लेकिन उनके पास यह सूचनाएं लगातार आ रही थीं कि भारी बारिश के चलते मध्य प्रदेश की कई नदियां और नाले उफान पर हैं। बांध भरते जा रहे हैं और कई बांधों के गेट खोले जा चुके हैं। लिहाजा छोटी बड़ी नदियों के साथ-साथ शहरों गांवों और बस्तियों में बाढ़ के हालात निर्मित होने लगे हैं। इन चिताओं के चलते डॉक्टर मोहन यादव ने अपने निवास की ओर जाने की वजाय स्टेट हैंगर से सीधे राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण केंद्र पहुंचे। पूर्व नियोजित योजना के अनुसार वहां पर सभी अधिकारी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। यहां पहुंचकर उन्होंने सारे हालातो का एक बार फिर बारीकी से परीक्षण किया और फिर विषय विशेषज्ञों से सलाह मशवरा करके बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए। यहां स्पष्ट कर दें कि मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार बचाव दलों को हेलिकॉप्टर भी उपलब्ध कराए गए हैं। स्पष्ट निर्देश हैं कि यदि आवश्यक हो तो बाढ़ में फंसे लोगों के बचाव हेतु हेलीकॉप्टरों का भी प्रयोग किया जाए। किसी भी व्यक्ति की जान नहीं जानी चाहिए। अतिरिक्त सहायता के लिए बचाव शिविर लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं। इस ओर युद्ध स्तर पर कार्य शुरू हो चुके हैं और अधिकारियों एवं कर्मचारियों के दल बाढ़ पीड़ित इलाकों की ओर मोर्चा संभाले हुए हैं। जहां पर भी किसी प्रकार की दुर्घटना की आशंका हो सकती है, उन पुलों, पुलियाओं पर तीखी नजर रखी जा रही है। संतोष की बात यह है कि इन सभी गतिविधियों पर स्वयं मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव की मॉनिटरिंग निरंतर बनी हुई है।
इस लिहाज से देखा जाए तो मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव का प्रगति और प्रकृति के बीच का संतुलन बेहद संतोष जनक दिखाई दे रहा है। किसी भी सरकार का यह कार्यक्रम प्रदेश को भविष्य में भी बिगड़ते पर्यावरण से बचाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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