पेरिस ओलंपिक : मनु भाकर ने रचा इतिहास, सरबजोत के साथ जीता दूसरा मेडल

खेल निशानेबाजी

पेरिस| मनु भाकर ने मंगलवार को पेरिस ओलंपिक में इतिहास रच दिया है. वह एक ही ओलंपिक में दो मेडल हासिल करने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बन गई हैं. उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल के मिक्स्ड टीम इवेंट में सरबजोत सिंह के साथ कांस्य पदक जीत लिया है. इसी रविवार को 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के महिला वर्ग में कांस्य पदक जीत कर भारत के लिए पदकों का खाता खोलने वाली मनु ने तीन दिन के भीतर भारतीय दल के लिए दूसरा मेडल हासिल कर लिया है. इन दोनों ने कोरियाई जोड़ीदार ओ ये जिन और ली वून्हो को 16-10 से हराया. कोरियाई जोड़ी में ओ ये जिन वही शूटर हैं जिन्होंने रविवार को 10 मीटर एयर पिस्टल के महिला वर्ग में गोल्ड मेडल हासिल किया था. जिन इस कदर फॉर्म में थीं कि उन्होंने नए ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल हासिल किया था. लेकिन मिक्स्ड टीम इवेंट में मनु- सरबजोत सिंह की जोड़ी ने कोरियाई जोड़ीदारों का रंग फीक़ा कर दिया.

मनु और सरबजोत ने ख़िताबी मुक़ाबले में लीग मुक़ाबले के अंतर को बेहतर किया. मंगलवार को ‘स्टिल आई राईज़’ के आत्मविश्वास के साथ अपने नर्व्स पर नियंत्रण रखते हुए मनु ने इतिहास रच दिया. 28 जुलाई को वह ओलंपिक खेलों के इतिहास में शूटिंग में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनीं थीं. महज तीन दिनों के भीतर अब वह एक ही ओलंपिक में दो-दो मेडल हासिल करने वाली भारतीय ओलंपिक इतिहास की इकलौती खिलाड़ी बन गई हैं.
वो टैटू जिसने मनु भाकर को पेरिस ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए प्रेरित किया
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वैसे भारत के लिए पहलवान सुशील कुमार और बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु दो ओलंपिक मेडल जीत चुके हैं लेकिन उन्होंने ये कारनामा दो अलग-अलग ओलंपिक में किया था.

2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद सुशील कुमार ने 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक हासिल किया था. जबकि पीवी सिंधु 2016 के रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद 2020 के टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने में कामयाब रही थीं.

बीबीसी इमर्जिंग प्लेयर ऑफ़ द ईयर 2020 हैं मनु
साल 2021 में मनु भाकर ने ‘बीबीसी इमर्जिंग प्लेयर ऑफ़ द ईयर 2020’ अवॉर्ड जीता था. इस सम्मान को हासिल करते हुए उन्होंने अपने इरादे ज़ाहिर किए थे कि उन्हें देश के लिए ज़्यादा से ज़्यादा मेडल हासिल करने हैं. उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि, “मुझे मालूम हुआ है कि आप लोग लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के साथ इर्मेंजिंग इंडियन स्पोर्ट्सवुमेन का अवार्ड दे रहे हैं, तो मुझे बहुत अच्छा लगा.” मनु भाकर ने कहा था, “लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए आपको बहुत लंबे समय तक अच्छा करना होता है, बहुत हासिल करना होता है. तब जाकर आप को यह सम्मान मिलता है, जबकि इमर्जिंग अवॉर्ड उनको मिलता है जो अच्छा कर सकते हैं, जो देश के लिए ज़्यादा मेडल हासिल कर सकते हैं.”

कमबैक की दमदार कहानी
वैसे मनु भाकर की पेरिस ओलंपिक में कामयाबी की कहानी नाकामी के बाद दमदार कमबैक की कहानी है. दरअसल 2020 ओलंपिक (2021 में टोक्यो में आयोजित) में मनु भाकर पर उम्मीदों का काफ़ी दारोमदार था और उन उम्मीदों के सामने 19 साल की मनु का हौसला डगमगाया और वे पदक की दौड़ में भी शामिल नहीं हो सकीं, किसी भी इवेंट में वे मेडल राउंड तक नहीं पहुंच सकीं. यह उनके लिए बहुत बड़ा झटका था. हार की निराशा और नाउम्मीदी के बीच मनु भाकर का मन शूटिंग के उस खेल से उबने लगा था, जिसे उन्होंने बॉक्सिंग, एथलेटिक्स, स्केटिंग, जूडो और कराटे जैसे खेल को अपनाने के बाद 14 साल की उम्र में दिल से लगाया था. 2016 में जब मनु ने तय किया कि शूटिंग ही भविष्य है तो मरीन इंजीनियर पिता रामकिशन भाकर ने नौकरी छोड़ दी और बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात एक कर दिया.

पांच साल के भीतर ही मनु ने कामयाबी भी ख़ूब देख ली थी. 2017 के नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में उन्होंने 10 मीटर एय़र पिस्टल में वर्ल्ड नंबर एक रहीं हिना सिद्धू को हराया. 2018 में वीमेंस वर्ल्ड कप में मनु ने एक ही दिन में दो गोल्ड मेडल जीत लिया था. ये कोई हंसी खेल की बात नहीं थी. मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल का गोल्ड मेडल जीतने के लिए दो बार की वर्ल्ड चैंपियन मैक्सिको की निशानेबाज़ अलजांद्रा जवाला को हरा दिया था. 2019 में मनु ने टोक्यो ओलंपिक का कोटा हासिल किया था. इन सबने मिलकर उन्हें थोड़ा एटीट्यूड भी भर दिया था, लेकिन निशानेबाज़ी की दुनिया में उनका सितारा चमक रहा था. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खेल पर नज़र रखने वाले हर शख़्स की नज़र मनु भाकर पर थी लेकिन एक इवेंट में उनकी पिस्टल गड़बड़ हुई और उसके बाद उनका पूरा का पूरा ओलंपिक अभियान ही पटरी से उतर गया और रही सही कसर एटीट्यूड ने पूरी कर दी.

उम्मीदों के बादल पर सवार मनु भाकर तब अपनी नाकामी को पचा नहीं पाई थीं और इसका दोष अपने तत्कालीन कोच जसपाल राणा पर मढ़ दिया. पूर्व शूटर राणा ने इसे मनु की अपरिपक्वता कहा लेकिन दोनों के रास्ते अलग हो गए. इसके बाद मनु भाकर का खेल के प्रति पैशन घटता गया. कई मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने माना है कि वे शूटिंग छोड़कर पढ़ाई के लिए विदेश जाने का मन बना चुकी थीं. हालांकि, पेरिस ओलंपिक का समय पास आता जा रहा था और खुद को एक मौका दिए जाने का विचार भी मन में घुमड़ रहा था.

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