मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार एक के बाद एक जिस तरह के निर्णय ले रही है, उनसे अब यह स्पष्ट हो चला है कि यह प्रांत अब औद्योगिक क्रांति की ओर तेजी से बढ़ चला है। क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस प्रदेश को उद्योग और रोजगार की दृष्टि से सर्व साधन संपन्न बनाने का संकल्प एक प्रकार से ठान लिया है। इसी नीति के तहत लगातार एक के बाद एक इंडस्ट्रीज कांक्लेव आयोजित हो रहे हैं। उनके माध्यम से यह सुनिश्चित हो चला है कि निकट भविष्य में देश भर के जाने-माने उद्योगपति हमारे यहां भारी पैमाने पर पैसा निवेश करने जा रहे हैं। जाहिर है इस भारी भरकम राशि से मध्य प्रदेश में अनेक छोटे बड़े और मझोले उद्योगों की नींव पड़ेगी तथा इसे आर्थिक प्रगति तो होगी ही, साथ में युवाओं को रोजगार मिलने के अवसर भी भारी पैमाने पर उपलब्ध हो सकेंगे। इसके अलावा उत्पादन और व्यापार बढ़ने पर सरकारी खजाने को अच्छी खासी तादाद में राजस्व लाभ की सुनिश्चितता बनती दिखाई दे रही है सो अलग। यह अपने आप में कीर्तिमान ही है कि पूर्व में जबलपुर, उज्जैन, मुंबई, कोयंबटूर और बेंगलुरु में जो रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव आयोजित हुए, उनमें भी लगातार उत्साह जनक परिणाम देखने को मिले हैं। इन सभी कांक्लेवों में भाग लेने आए उद्योगपतियों ने कई लाख करोड रुपए मध्य प्रदेश में निवेश किए जाने की केवल इच्छा ही नहीं जताई, कहीं-कहीं तो इस बाबत शुरुआत भी होते दिखाई दे रही है। यह मध्य प्रदेश की प्रगति के पथ पर यह एक अच्छा लक्षण दिखाई देता है। बता दें कि निवेश के जो करार विभिन्न उद्योगपतियों और कंपनियों के साथ मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किए गए हैं, उस बाबत अब शिलान्यास और भूमि पूजन जैसे कार्य शुरू हो गए हैं। यानि कि उद्योगों के स्थापत्य की नींव मध्य प्रदेश में नए स्तर से पड़नी शुरू हो गई है। इस लिहाज से गौर करें तो अभी तक आयोजित इंडस्ट्री कांक्लेव में बेंगलुरु के माध्यम से 3175 करोड रुपए, कोयंबटूर कॉन्क्लेव के माध्यम से 3500 करोड़ रुपए, मुंबई के इंटरएक्टिव सेशन में 75 000 करोड़ रुपए, उज्जैन के आयोजन में 1 लाख करोड़ रुपए और जबलपुर के रीजनल कांक्लेव से 22 000 करोड़ रुपए निवेश किए जाने के करार मध्य प्रदेश शासन और विभिन्न उद्योगपतियों के बीच हो चुके हैं। और अब ग्वालियर में आयोजित रीजनल इंडस्ट्रीज कांक्लेव के माध्यम से 8000 करोड़ के उद्योग स्थापित करने के प्रस्ताव मध्य प्रदेश की झोली में आ चुके हैं। इस प्रकार बहुत बड़ी धनराशि मध्य प्रदेश की धरती पर विभिन्न उद्योगों के रूप में निवेश होने जा रही है। जैसा कि पहले भी लिखा जा चुका है इससे एक ओर मध्य प्रदेश में उत्पादन को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। वहीं युवाओं को रोजगार के अवसर भारी पैमाने पर उपलब्ध हो सकेंगे। साथ में सरकारी खजाने को जो आर्थिक लाभ मिलने जा रहा है, वह प्रदेश में विकास में नए आयामों को आकार देने में महती भूमिका निभाएगा। एक प्रकार से देखा जाए तो यह मध्य प्रदेश सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि है। देखने में आता है कि जिन प्रदेशों में शांति, अनुशासन, कानून व्यवस्था और विभिन्न संसाधनों की उपलब्धताएं सुनियोजित ना हों, वहां की सरकारों को कई बार उद्योगपतियों के सामने गिड़गिड़ाते देखा जाता है। इसके बावजूद नकारात्मक अनुभव यह होते हैं कि उन प्रदेशों में उद्योगपति लोग पैसा निवेश करने के लिए कतई तैयार नहीं होते । लेकिन यदि मध्य प्रदेश में देश भर के उद्योगपतियों का रुझान सकारात्मक दिखाई दे रहा है तो फिर यह सोचकर संतुष्टि होती है कि यहां की डॉक्टर मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अपनी जनहितैषी कार्य प्रणाली के माध्यम से सही पथ पर अग्रसर हो रही है। निश्चित ही हमारे यहां विद्युत, जल, जमीन, पर्यावरण और अनुशासन इतने संतुलित हैं कि इस धरती पर आशंकाओं के लिए कोई जगह शेष नहीं रह जाती। कानून व्यवस्था की दृष्टि से भी मध्य प्रदेश को शांति का टापू कहा जाता है। संभवत यही वे बड़ी वजहें हैं, जिसके चलते मध्य प्रदेश को औद्योगिक क्षेत्र में नित नई ऊंचाइयां मिलती चली जा रही हैं। बगैर किसी शक शुबहा के, इसका श्रेय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को और उनकी सकारात्मक कार्य प्रणाली को ही जाता है। संतोषप्रद बात यह है कि मध्य प्रदेश की मोहन सरकार का यह अभी पहला साल ही है। जिसके चलते विरोधी नेता और दल यह मानकर चल रहे थे कि अभी तो नए मुख्यमंत्री को मध्य प्रदेश सरकार की नब्ज को समझने में ही कई महीने लग जाएंगे। इसके अलावा अच्छा खासा समय प्रशासकों की नई जमावट करने में गुजर जाएगा। यानि पुराने अनुभवों को देखते हुए यह आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि मुख्यमंत्रित्व काल के पहले एक दो साल तो इस सरकार के बर्बाद होने वाले ही हैं। लेकिन मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने जिस पैमाने पर सकारात्मक परिणाम पहले ही साल में देने शुरू किए हैं, इससे स्थानीय जनता को यह भरोसा हो चला है कि आने वाला समय प्रदेश वासियों के लिए और बेहतर होने वाला है। यह भरोसा इसलिए भी मजबूती पता है, क्योंकि जिस प्रदेश में उद्योग और धंधे प्रोत्साहन पाते हैं वहां उनकी तरक्की दिनों दिन बढ़ती ही है। फल स्वरुप जो स्थानीय निवासी होते हैं, उनकी आर्थिक प्रगति भी रफ्तार पकड़ते लगती है। परिणाम स्वरूप आम आदमी रोजगार मिलने से और सरकार राजस्व मिलने से फलने फूलने लगते हैं। इससे विकास के नए आयाम स्थापित होते हैं, जो हमें दिखाई हीं दे रहे हैं। उदाहरण के लिए – चंबल के मालनपुर में फायर स्टेशन, मुरैना के सीतापुर में पुलिस चौकी, प्रदेश भर में 8 फैसिलिटेशन सेंट्रो का उद्घाटन, ग्वालियर में निजी क्षेत्र के बड़े चिकित्सालय लाने का संकल्प, एमपीआईडीसी के अंतर्गत चार नए औद्योगिक पार्कों का निर्माण अपने स्थापत्य की सुनिश्चितता प्राप्त कर चुके हैं। महिला सशक्तिकरण को केंद्र में रखकर शिवपुरी जिले के बदरवास तहसील में जैकेट निर्माण केंद्र स्थापित होने जा रहा है। इसमें महिलाओं की 100% भागीदारी सुनिश्चित की जा चुकी है। गुना जिले की बात करें तो वहां 2 मिलियन टन क्षमता का सीमेंट ग्राइंडिंग प्रोजेक्ट स्थापित होने जा रहा है। ग्वालियर में पूर्व से स्थापित ट्रॉपिलाइट फूड प्राइवेट लिमिटेड 100 करोड रुपए और लगाकर इस संस्थान की क्षमता बढ़ाने जा रहा है। इसमें महिलाओं के लिए 500 रोजगार उपलब्ध होने जा रहे हैं। उत्साह बढ़ाना इसलिए भी स्वाभाविक है, क्योंकि प्रदेश के अधिकांश जिलों में नए उद्योग स्थापित किए जाने की कवायदें जोर पकड़ रही हैं। सुखद समाचार यह भी कि 1586 करोड़ के निवेश की 47 इकाइयों का मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव वर्चुअल भूमि पूजन और लोकार्पण कर चुके हैं। केवल इनसे ही 4752 रोजगार के अवसर पैदा होने जा रहे हैं। अब जब मध्य प्रदेश में निवेश करने की मंशा अदानी समूह, रिलायंस समूह जैसे औद्योगिक घराने जैसे बड़े कॉरपोरेट समूह जता रहे हैं तो फिर आश्वस्त हुआ जा सकता है कि मध्य प्रदेश का आने वाला समय स्वर्णिम ही है। इसके लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, उनके पीछे कंधे से कंधे मिलाकर खड़ा हुआ भाजपा का बड़ा कैडर वर्ग और कर्तव्य के प्रति दृढ़ संकल्पित प्रशासकों का समूह बधाई का पात्र है।