पीएम मोदी का सिंगापुर दौरा : सिंगापुर में पीएम मोदी का हुआ जोरदार स्वागत, अनोखे अंदाज में दिखे पीएम ने ढोल बजाकर भारतीयों का बढ़ाया जोश

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नई दिल्ली। दो देशों की यात्रा के दूसरे चरण में देश के पीएम मोदी ब्रुनेई के बाद आज यानी 4 सितंबर को सिंगापुर पहुंचे हैं। पीएम मोदी 6 साल बाद वापस सिंगापुर पहुंचे हैं। जहां पर उनका जोरदार स्वागत किया गया है। सिंगापुर के होटल के बाहर भारतीय लोग बड़ी संख्या में इकट्ठे हुए नजर आ रहे थे। उन्होंने पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए हाथ में तख्तियां ली हुई थीं। वहीं ढोल-नगाड़ों के साथ पीएम मोदी का जोरों शोरों से स्वागत किया गया है। लड़कियों ने सांस्कृतिक नृत्य किया। ढोल को बजता देख पीएम मोदी को खुद को रोक पाना मुश्किल हो गया था। जिसके बाद उन्होंने ढोल लेकर खुद ही बजाना शुरू कर दिया। साथ ही दूसरे कलाकारों के साथ ताल से ताल मिलाते नजर आए।

सिंगापुर पहुंचे पीएम

पीएम मोदी दिनों की ब्रुनेई की यात्रा को पूरी करके पीएम मोदी सिंगापुर पहुंचे हैं। भारत की आर्थिक तरक्की में सिंगापुर का बड़ा योगदान रहा है। बता दें ये देश का छटवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। सिंगापुर के पीएम लॉरेंस वॉन्ग के निमंत्रण पर पीएम मोदी अपनी पांचवीं आधिकारिक यात्रा के तहत सिंगापुर पहुंचे। बता दें कि पीएम मोदी का बृहस्पतिवार को संसद भवन में आधिकारिक स्वागत होगा जिसके बाद पीएम मोदी सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम से मुलकात करेंगे।

पीएम मोदी की लॉरेंस वॉन्ग और थर्मन शनमुगरत्नम से अलग मुलाकात

पीएम मोदी का चांगी हवाई अड्डे पर अधिकारियों की तरफ से स्वागत किया गया है। साथ ही प्रवासी भारतीयों ने बड़े ही धूमधाम से स्वागत किया है। जिसके बाद अब पीएम मोदी लॉरेंस वॉन्ग और सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम से अलग-अलग मुलाकात करेंगे।

क्या है यात्रा का एजेंडा?

सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। पीएम मोदी अपनी सिंगापुर की यात्रा के दौरान बिजनेस लीडर्स और बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ से मुलाकात करेंगे। जिसके चलते साउथ चाइना सी और म्यांमार जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर वार्तालाप हो सकती है। व्यापार और निवेश के मायने से पीएम मोदी का ये दौरा बहुत ही अहम है। सिंगापुर भारत का छठवां सबसे बड़ा ट्रे़डिंग पार्टनर है। भारत में आने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक बड़ा सोर्स सिंगापुर है।

भारत के लिए क्यों जरूरी है सिंगापुर?

इस समय भारत का पूरा ध्यान एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर है। इस पॉलिसी की शुरूआत नवंबर 2014 में 12वें आसियान-भारत शिखर समिट के समय हुई थी। जिसका उद्देश्य सिंह महासागर में बढ़ रही समुद्री क्षमता से मुकाबला करना था। साथ ही साउथ चाइना सी और हिंद महासागर में रणनीतिक पार्टनरशिप का निर्माण करना है। चीन लगातार साउथ चाइना सी में अपना दबदबा जमाने की कोशिश में लगा है। जिसके चलते कई देशों में लगातार चीन का विवाद बना हुआ है। साउथ चाइना सी के कुछ हिस्सों पर चीन अपना दावा कर रहा है जिसको लेकर क्षेत्रीय स्तर पर शांति प्रभावित होती नजर आ रही है। ऐसे में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत पीएम मोदी का ब्रुनेई और सिंगापुर का दौरा बहुत जरूरी माना जा रहा है।

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