नई दिल्ली। देशभर में शनिवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ दशहरा मनाया गया और बड़ी संख्या में लोग रावण के पुतलों का दहन देखने के लिए उमड़ पड़े। इसके साथ ही अनुष्ठानों, गीतों, नृत्य और जुलूसों के 10 दिवसीय उत्सव का शानदार समापन हो गया। खुले मैदानों में रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया और वहां उपस्थित भीड़ उत्साह डूब गई। जलते हुए पुतलों में लगे पटाखे फूटने से रात को आकाश प्रकाश से जगमगा उठा। सोशल मीडिया मंचों पर लोगों एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लाल किले के परेड ग्राउंड में आयोजित समारोह में शामिल हुए, जहां श्री धार्मिक लीला समिति के आयोजकों ने उनका स्वागत किया। यह त्योहार भगवान राम द्वारा दस सिर वाले रावण को परास्त करने की याद में मनाया जाता है, तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। विभिन्न स्थानों पर विशाल दुर्गा पूजा पंडाल स्थापित किए गए, जिनमें राजनीति, चित्रकला और प्रतिष्ठित स्मारकों समेत विभिन्न नवीन विषयों पर आधारित डिजाइन प्रदर्शित किए गए।
शहरों, कस्बों और गांवों में भगवान राम के जीवन पर आधारित नाट्य प्रस्तुति रामलीला प्रस्तुत की गई, जिसमें अभिनेता रामायण के पात्रों की वेशभूषा धारण कर अभिनय करते नजर आए। लेकिन हरिद्वार जिला जेल में रामलीला के मंचन का फायदा उठाकर दो खूंखार अपराधी फरार हो गए। हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पंकज और विचाराधीन कैदी राजकुमार की तलाश शुरू कर दी गई है। ओडिशा से भी एक घटना की खबर मिली है, जहां जाजपुर जिले के बरुंदेई मंदिर में दुर्गा पूजा पंडाल से लगभग 10 लाख रुपये मूल्य के सोने और चांदी के आभूषण चोरी हो गए। दशहरे के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिम बंगाल के सुकना सैन्य स्टेशन पर ‘शस्त्र पूजा’ की और कहा कि यह अनुष्ठान एक ‘‘स्पष्ट संकेत है कि यदि आवश्यकता हुई तो हथियारों और उपकरणों का पूरी ताकत से उपयोग किया जाएगा।”
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में सिंह के हवाले से कहा, ‘‘भारत ने कभी भी किसी देश पर घृणा या बुरी नीयत से हमला नहीं किया। हम तभी लड़ते हैं जब कोई हमारी अखंडता और संप्रभुता का अपमान करता है या उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है; जब धर्म, सत्य और मानवीय मूल्यों के विरूद्ध युद्ध छेड़ा जाता है, यही हमें विरासत में मिला है। हम इस विरासत को संरक्षित करना जारी रखेंगे।” उन्होंने कहा, “हालांकि, यदि हमारे हितों को खतरा है तो हम बड़ा कदम उठाने में संकोच नहीं करेंगे। शस्त्र पूजा एक स्पष्ट संकेत है कि अगर आवश्यकता हुई तो हथियारों, उपकरणों का पूरी ताकत से उपयोग किया जाएगा।’’
इस बीच, विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडाल पर हमले और काली मंदिर में चोरी की घटना पर ‘‘गंभीर चिंता’’ व्यक्त की और पड़ोसी देश से हिंदुओं समेत सभी अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की वार्षिक विजयादशमी रैली को संबोधित करते हुए संगठन के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत अधिक मजबूत हुआ है और दुनिया में उसकी साख बढ़ी है, लेकिन भयावह षड्यंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई महसूस करता है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत अधिक मजबूत हुआ है और दुनिया में इसकी साख बढ़ी है। कोई देश अपने लोगों के राष्ट्रीय चरित्र के कारण महान बनता है। यह वर्ष महत्वपूर्ण है क्योंकि आरएसएस अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है।’’ आरएसएस प्रमुख ने कहा, “बांग्लादेश में अत्याचारी कट्टरपंथी सोच के लोग मौजूद हैं। हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों के सिर पर खतरे की तलवार लटक रही है।” उन्होंने कहा कि हिंदू अब खुद की रक्षा के लिए सामने आए हैं। भागवत ने कहा कि उन्हें मानवता और सद्भाव का समर्थन करने वाले सभी लोगों, खासकर भारत सरकार और दुनिया भर के हिंदुओं की मदद की आवश्यकता होगी।
भागवत ने कहा, ‘‘यही कारण है कि बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ और इसके कारण होने वाला जनसंख्या असंतुलन आम लोगों के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन गया है।’’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘असंगठित और कमजोर होना दुष्टों के अत्याचार को आमंत्रित करने जैसा है। हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है।’’ वहीं पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में भी धूमधाम से दशहरा मनाया गया। इस अवसर पर विवाहित महिलाओं ने अनुष्ठान के तहत अपने चेहरे पर सिंदूर लगाया और रावण के पुतले जलाए गए।
कोलकाता, आसनसोल और सिलीगुड़ी समेत विभिन्न स्थानों पर रावण के पुतलों को जलाने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े। साल्ट लेक में रावण का 60 फुट और उसके भाई कुंभकर्ण और बेटे मेघनाद का 50 फीट ऊंचा पुतला जलाया गया, जिसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने इस अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दीं और शांति, समृद्धि और शक्ति की प्रार्थना की। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आरएसएस को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि अपनी स्थापना के बाद से ही यह संगठन भारतीय संस्कृति की रक्षा करने और युवाओं में देशभक्ति के विचारों को विकसित करने का उल्लेखनीय काम कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी।