नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने एक बार फिर चावल निर्यात नीति में बदलाव किया है। सरकार ने गैर-बासमती चावल पर लगाया गया 10 प्रतिशत का निर्यात शुल्क पूरी तरह से हटा दिया है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब देश के कुछ हिस्सों में चुनाव चल रहे हैं। सरकार का कहना है कि यह निर्णय सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद लिया गया है। चुनाव आयोग ने भी इस निर्णय को मंजूरी दे दी है, बशर्ते इसका कोई राजनीतिक फायदा न उठाया जाए। यह एक महीने के भीतर चावल निर्यात शुल्क में दूसरी कटौती है। इससे पहले सितंबर में, सरकार ने गैर-बासमती उबले चावल, भूरे चावल और धान पर निर्यात शुल्क 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था। पिछले साल अल नीनो के कारण देश में कम बारिश हुई थी और धान की पैदावार प्रभावित हुई थी।
इसीलिए सरकार ने चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया था और जुलाई 2023 में सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगा दिया था। हालांकि, इस साल चावल का उत्पादन पिछले साल की तुलना में अधिक होने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस साल चावल का उत्पादन 137.83 मिलियन टन रहने का अनुमान है। भारत के चावल निर्यात प्रतिबंध के कारण वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें बढ़ गई थीं और थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे देशों को फायदा हुआ था। इस फैसले से किसानों को अपनी फसल के अच्छे दाम मिल सकेंगे। चावल निर्यात बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध हटने से वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें कम हो सकती हैं। आने वाले समय में चावल के निर्यात पर सरकार की नीति क्या होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।