नई दिल्ली। वैश्विक उठापटक और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली के कारण भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 18 अक्टूबर को समाप्त होने वाले हफ्ते में 2.163 अरब डॉलर गिरकर 688.267 अरब डॉलर हो गया है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए डेटा से मिली। हालांकि, इस दौरान गोल्ड रिजर्व 1.7 अरब डॉलर बढ़कर 67.44 अरब डॉलर हो गया है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गोल्ड की खरीदारी में बढ़ोतरी की वजह वैश्विक स्तर पर तनाव में वृद्धि होना है। गोल्ड को महंगाई के खिलाफ एक हेज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और उठापटक के बीच यह एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। इस कारण से लोग गोल्ड में निवेश बढ़ा रहे हैं। इससे गोल्ड की कीमतों को सहारा मिल रहा है। महंगाई में कमी आने के बाद भी इस साल गोल्ड में रैली देखने को मिली है और विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड की हिस्सेदारी में 2018 से 210 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
केंद्रीय बैंक द्वारा पिछले हफ्ते जारी किए गए डेटा के मुताबिक, 10 अक्टूबर तक विदेशी मुद्रा भंडार 10.746 अरब डॉलर कम होकर 690.43 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। इससे पहले सितंबर में विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सबसे उच्चतम स्तर 704 अरब डॉलर को छू गया। 18 अक्टूबर को समाप्त हुए हफ्ते में स्पेशल ड्राइंग राइट्स (एसडीआर) की वैल्यू 68 मिलियन डॉलर गिरकर 18.271 अरब डॉलर रह गई है। इसके अलावा भारत की अंतरराष्ट्रीय मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) में रिजर्व पोजिशन 16 मिलियन डॉलर कम होकर 4.316 अरब डॉलर की रह गई है। जानकारों के मुताबिक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का अनुमान है और मजबूत विदेशी मुद्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विदेशी निवेश आकर्षित करके और घरेलू व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देने में मदद करता है। आगे कहा कि सुरक्षित मांग, ईटीएफ खरीदारी, अनिश्चित अमेरिकी चुनाव परिणाम और वैश्विक केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज दरों में कटौती के बढ़ते रुझान के कारण इस सप्ताह सर्राफा सकारात्मक रुख के साथ बंद होने की संभावना है।