ज्ञानवापी पर हिन्दू पक्ष को झटका, वजू खाना समेत पूरे परिसर के सर्वे की मांग खारिज

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नई दिल्ली| वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के सबसे पुराने मामले में शुक्रवार को हिंदू पक्ष को अदालत से झटका लगा है। सबसे पुराने यानी 1991 में दायर मुकदमे में सम्पूर्ण सर्वे की मांग वाली अर्जी अदालत ने खारिज कर दी है। सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) युगुल शंभू की अदालत ने 19 अक्टूबर को इस अर्जी पर दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। मुकदमे के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से ज्ञानवापी के वजू खाना समेत संपूर्ण परिसर के सर्वे की मांग की गई थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एएसआई सर्वे का शेष हिस्सा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संरक्षित है। इसके साथ ही हिंदू पक्ष की ओर से सम्पूर्ण सर्वेक्षण करने की मांग के समर्थन में कोई ठोस कारण प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसलिए आगे का सर्वेक्षण आवश्यक नहीं है। हिंदू पक्ष की ओर से पिछली सुनवाई में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने एएसआई सर्वे से अतिरिक्त वुजूखाना और तहखाना के सर्वेक्षण की मांग उठाई गई है।

उनका कहना है कि पूर्व में फास्ट ट्रैक कोर्ट की ओर से सम्पूर्ण सर्वेक्षण का आदेश हुआ है। जिसे विपक्षी अंजुमन की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने अंजुमन की आपत्ति को खारिज कर लोअर कोर्ट को त्वरित सुनवाई का आदेश दिया था। वादमित्र ने दलील में कहा कि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि राखी सिंह मामले में जिला जज की कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट गया था। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एएसआई के डायरेक्टर ने शपथ पत्र दिया था। सर्वे में कोई क्षति नहीं होगी। राखी सिंह की मामला व्यक्तिगत वाद के संबंध से है। यह भी कहा कि वर्ष 1991 का लार्ड विश्वेश्वर पुराना वाद अलग है। राखी सिंह के वाद की बाध्यता इस पर नहीं लागू होगी। राखी सिंह के वाद पर हुआ सर्वे लोअर कोर्ट के वर्ष 2021 में हुए आदेश के अनुरूप नहीं है।

सेंट्रल गुंबद के नीचे का सर्वे नहीं हुआ है, जहां पर बहुत बड़ा शिवलिंग है। ज्ञानवापी परिसर स्थित वुजूखाना का सर्वे भी यह कहकर नहीं किया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे सील किया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त स्थान के सर्वे करने पर रोक नहीं लगाई है। सिर्फ संरक्षित करने का आदेश दिया है। इसलिए संपूर्ण सर्वे जरूरी है। इसके जवाब में प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने दलील देते हुए कहा था कि एएसआई की ओर से सर्वेक्षण हो चुका है। अब अतिरिक्त सर्वे की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से अपने पूर्व के एक आदेश में कहा है कि अब ज्ञानवापी में कोई कार्य होगा तो उसके लिए अनुमति लेनी होगी। इसलिए यह अर्जी खारिज करने योग्य है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। इसे आज सुनाते हुए हिंदू पक्ष की अर्जी खारिज कर दी है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर की तारीख लगाई है।

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