बेंगलुरु| प्रवर्तन निदेशालय ने कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण घोटाला मामले में बेंगलुरु और मैसूर में 8 से 9 जगहों पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनके परिवार और मुडा अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और जमीन की हेराफेरी के आरोपों की बीच हुई है। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण को शॉर्ट फॉर्म में मुडा कहते हैं। जब सरकार किसी जमीन का अधिग्रहण करती है तो मुआवजे के तौर पर दूसरी जगह जमीन देती है। पूरा कथित मुडा स्कैम भी इसी से जुड़ा है। ये मामला सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मुआवजे के रूप में मिली 14 प्रीमियम साइट से जुड़ा है। 2004 से यह मामला मुडा की ओर से उस समय मुआवजे के तौर पर जमीन के पार्सल के आवंटन से जुड़ा है जब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे।
ये प्लॉट मैसूर में हैं। आरोप है कि सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पार्वती ने मुडा से गैरकानूनी तरीके से जमीन ली। दावा है कि इसमें 4 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। जिस जमीन की यहां बात हो रही है वो केसारू गांव की 3.16 एकड़ का प्लॉट है। साल 2005 में इस जमीन को सिद्धारमैया के बहनोई मल्लिकार्जुन स्वामी देवराज को ट्रांसफर कर दिया गया था। दावा है कि मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2004 में सरकारी अफसरों और जाली दस्तावेजों की मदद से इस जमीन को अवैध रूप से अपने नाम करवा लिया था। आरोप है कि मुडा ने मैसूर की प्राइम लोकेशन पर पार्वती को जमीन दी। ये जमीन 14 अलग-अलग जगहों पर थी। दावा है कि सिद्धारमैया की पत्नी को उन इलाकों में जमीन दी गई, जहां सर्किल रेट ज्यादा था, जिससे उसकी कीमत केसारू की असल जमीन से ज्यादा हो गई।