नई दिल्ली| देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने हरियाणा चुनावों के संबंध में पार्टी की शिकायतों पर केंद्रीय चुनाव आयोग से मिले जवाबों पर ना सिर्फ असंतुष्टि जताई है बल्कि उस पर आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग ने हरियाणा चुनाव से संबंधित शिकायतों पर स्पष्टीकरण देने के बजाय गोल-मोल जवाब दिए। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने आयोग को अहंकार से लबरेज बताया है। मुख्य चुनाव आयुक्त को तीन पन्ने की लिखी चिट्ठी में कांग्रेस ने तंज कसा है कि अगर निर्वाचन आयोग का यह लक्ष्य है कि वह अपने तटस्थ स्वरूप को पूरी तरह खत्म करना चाहता है, तो वह इस दिशा में उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ रहा है।
प्रतिक्रिया के लिए किया गया मजबूर
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा कि हमें हरियाणा चुनाव में विधानसभा क्षेत्रों में उत्पन्न मुद्दों पर 9 अक्टूबर 2024 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाई गई, गंभीर चिंताओं पर आपका 29 अक्टूबर 2024 का उत्तर प्राप्त हुआ है। हमने हमारी शिकायतों पर आपकी प्रतिक्रिया का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि चुनाव आयोग ने खुद को क्लीन चिट दे दी है। हम आम तौर पर इसे वहीं रहने देते। हालांकि, ईसीआई की प्रतिक्रिया का लहजा और भाव, इस्तेमाल की गई भाषा और कांग्रेस के खिलाफ लगाए गए आरोप हमें प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के लिए मजबूर करते हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘सबसे पहले ईसीआई ने उठाए गए मुद्दों पर हमारे साथ जुड़ने में अपनी कृपा की ‘असाधारण’ प्रकृति बताते हुए अपना उत्तर प्रस्तुत किया। हम नहीं जानते कि माननीय आयोग को कौन सलाह दे रहा है या मार्गदर्शन कर रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि आयोग भूल गया है कि यह संविधान के तहत स्थापित एक निकाय है और इसे कुछ महत्वपूर्ण कार्यों – प्रशासनिक और अर्ध-न्यायिक दोनों के निर्वहन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यदि आयोग किसी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी को सुनवाई की अनुमति देता है या उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों की सद्भावना से जांच करता है तो यह कोई ‘अपवाद’ या ‘भोग’ नहीं है।’
जयराम रमेश ने कहा कि यह एक कर्तव्य का प्रदर्शन है जिसे करना आवश्यक है। यदि आयोग हमें सुनवाई देने से इनकार कर रहा है या कुछ शिकायतों पर शामिल होने से इनकार कर रहा है, तो कानून चुनाव आयोग को इस कार्य का निर्वहन करने के लिए मजबूर करने के लिए उच्च न्यायालयों के असाधारण क्षेत्राधिकार का सहारा लेने की अनुमति देता है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने अपने उत्तर के पैरा 8 में जिस ‘पैटर्न’ की पहचान करने की मांग की है, वह कपटपूर्ण है। उठाए गए अधिकांश मुद्दे आदर्श आचार संहिता की घोषणा से लेकर चुनावों के समापन तक की छोटी अवधि से संबंधित हैं। वोटो की गिनती बात करें तो, कभी-कभी परिणाम घोषित होने के बाद तक स्थिति स्पष्ट होती है और कभी-कभी अन्य बूथों से जानकारी की तुलना होने के बाद ही स्पष्ट होती है। यदि हम बुरे विश्वास वाले अभिनेता होते, तो हम शुरुआत में कभी भी चुनाव आओग के साथ नहीं जुड़ते। हम अपनी शिकायतों का बड़ी मेहनत से दस्तावेजीकरण नहीं करते।’
पीएम और गृह मंत्री पर नहीं हुई कार्रवाई
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि हम इस बात पर प्रकाश डालेंगे कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के खिलाफ सौ से अधिक शिकायतों में से ईसीआई ने शून्य शिकायतों पर कार्रवाई की है, जबकि हमारे पार्टी अध्यक्ष और पूर्व पार्टी अध्यक्ष को उनके कार्यों और भाषणों के लिए जवाबदेह ठहराया है। हम यह बताना चाहेंगे कि कैसे चुनाव आयोग ने कभी भी इस संबंध में एक पूर्व आयुक्त द्वारा असहमति नोट प्रकाशित नहीं किया, बल्कि इसे सक्रिय रूप से दबा दिया।