नई दिल्ली| प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का निधन हो गया है। बिबेक देबरॉय 69 साल के थे। उन्होंने नई पीढ़ी के लिए सभी पुराणों का अंग्रेजी में आसान अनुवाद भी लिखा है। देबरॉय की शुरुआती शिक्षा पश्चिम बंगाल के नरेंद्रपुर स्थित रामकृष्ण मिशन विद्यालय से हुई। इसके बाद उन्होंने इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की डिग्री कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से हासिल की। देबरॉय ने इकोनॉमिक्स में ही मास्टर्स किया। इसके लिए वो दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स आए। फिर वो ट्रिनिटी कॉलेज स्कॉलरशिप पर आगे की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज चले गए। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में बिबेक देबरॉय अपने सुपरवाइजर और ब्रिटिश इकोनॉमिस्ट फ्रैंक हान से मिले। हान की निगरानी में देबरॉय ने जनरल इक्विलिब्रियम फ्रेमवर्क पर काम किया। वैसे तो देबरॉय यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज अपनी पीएचडी करने गए थे। लेकिन उन्होंने वहां से एमएससी डिग्री हासिल की, और अपने देश वापस आ गए।
बिबेक देबरॉय ने साल 1979 से 1983 के बीच कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में बतौर लेक्चरर पढ़ाया। यही नहीं, उन्होंने गोखले इन्स्टिट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड में भी पढ़ाया। आर्थिक उदारीकरण के बाद सरकार को बड़े पैमाने पर नई नीतियों के लिए विशेषज्ञों से सलाह की ज़रूरत पड़ी। साल 1993-98 के बीच देबरॉय ने वित्त मंत्रालय में लीगल रिफॉर्म्स के प्रोजेक्ट पर काम किया। साल 2004 से 2009 के बीच देबरॉय नेशनल मैन्युफैक्चरिंग कॉम्प्टीटिव काउंसिल के सदस्य भी रहे। इसके बाद उन्हें 2014-15 के बीच रेल मंत्रालय की हाई पावर कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। रेल सेक्टर को लेकर देबरॉय कमेटी के सुझाव चर्चा (और कुछ मामलों में विवाद) का विषय बने थे। कमेटी ने शताब्दी और राजधानी जैसी प्रीमियम ट्रेनों के संचालन में प्राइवेट सेक्टर को लाने की सिफारिश की। रेलवे के संगठन में ऊपर से नीचे परिवर्तन की वकालत की। साथ ही दलील दी, कि अलग से रेल बजट पेश करने का कोई खास तुक नहीं है।इनमें से कुछ सुझावों पर मोदी सरकार ने अमल भी किया।