जनमानस में भीतर तक यह अवधारणा व्याप्त हो गई है कि दीपावली धन का त्यौहार है। और फिर बाजार बाद की अवधारणा ने इस सोच को और अधिक गहरे तक आम आदमी के मन मस्तिष्क में बिठा दिया है। जबकि विद्वान लोगों का मत है कि इस पांच दिवसीय बेहद अलौकिक त्यौहार में अनेक विविधताएं व्याप्त हैं। उदाहरण के लिए – धनतेरस की बात करेंगे। धनतेरस का त्योहार धन से अधिक स्वास्थ्य से संबंध रखता है। वास्तव में तो यह वो तिथि है जब समुद्र मंथन के दौरान औषधियोंऔर स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लिए हुए अवतरित हुए थे। अतः कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि का अवतरण दिवस मनाया जाता है। यह दिवस आयुर्वेदिक चिकित्सकों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। लोगों का अनुमान है कि यह धन्वंतरि शब्द ही शनै:शनै: धन्वंतरि त्रयोदशी से धनतेरस में परिवर्तित होता चला गया। अब देश और प्रदेश के अधिकांश लोग इस त्यौहार को धनवंतरी त्रयोदशी के बजाय धनतेरस के नाम से जानते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस तिथि को वास्तविक स्वरूप में ही मान्यता प्रदान की है, यह संतोष का विषय है। वैसे भी समय-समय पर भाजपा नेतृत्व वाली सरकारें यह संकेत देती रही हैं कि देश के विकास के लिए उक्त पार्टी के नेताओं ने और जन प्रतिनिधियों ने नूतन पुरातन के बीच एक बेहतर संतुलन बनाए रखा है। विकास के हित में लिए जा रहे सरकारी निर्णय कुछ कुछ ऐसे हैं, जिनके चलते हमारे उद्यमियों के इरादे आसमान की बुलंदियों को छू रहे हैं। वहीं उनके पैर मजबूती के साथ जमीन पर जमे हुए हैं। जाहिर है जब राष्ट्र अपने गौरवशाली इतिहास को साथ लेकर आधुनिक विकास के पद पर चलता है तो फिर अनुभव और अन्वेषण का मेल मिलाप उस देश को सकारात्मक प्रतिसाद परिणाम स्वरूप प्रदान करता ही है। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डॉक्टर मोहन यादव की डबल इंजन सरकार ने दीपावली के पांच दिवसीय त्योहार के प्रारंभ में धन्वंतरि त्रयोदशी अर्थात धनतेरस के दिन नए बने हुए कॉलेज का लोकार्पण करने का मन बनाया है। बता दें कि मंगलवार को मंदसौर, नीमच और सिवनी में नए मेडिकल कॉलेज भवन लोकार्पित होंगे। इससे चिकित्सा क्षेत्र को काफी लाभ होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा आयुष चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र देने का भी कार्यक्रम है। यानि धन्वंतरि त्रयोदशी के दिन एलोपैथी और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के चिकित्सकों के लिए अनेक तौहफे मिलने जा रहे हैं। एक और पठन-पाठन के लिए मेडिकल कॉलेज उपलब्ध होंगे तो दूसरी ओर आयुष चिकित्सकों को नौकरियां प्राप्त होने जा रही हैं। यूं तो युवाओं को नौकरी देना शासन का प्राथमिक दायित्व होता है। अतः उनकी ज्यादा चर्चाएं नहीं होतीं। लेकिन जब स्वास्थ्य के क्षेत्र में नियुक्तियां बढ़ाई जाएं और मेडिकल कॉलेज नए-नए खोले जाएं तो फिर इन्हें प्रोत्साहित करना बनता है। इसका एक कारण यह भी है कि चिकित्सा के क्षेत्र में अभी भी चिकित्सकों और चिकित्सीय कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर नियुक्तियां की अत्वश्यकता है। कारण यह है कि प्रत्येक शासकीय चिकित्सालय में रोगियों की भीड़ यहां से वहां भटकती दिखाई देती है। कारण सभी को ज्ञात है, स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों और चिकित्सीय अमले की कमी बनी हुई है। कई दशकों से आवश्यकता के अनुरूप भार्तीयां नहीं की गईं। इसलिए चिकित्सकों और चिकित्सीय अमले को अपनी क्षमता से कई गुना अधिक कार्य करना पड़ रहा है। इससे उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन, शरीर में थकावट और मानसिक स्तर पर निराशा का भाव हावी हो रहा है। ले देकर इन सभी नकारात्मक परिस्थितियों का परिणाम रोगियों को ही भुगतना पड़ता है। कई चिकित्सक उनका ठीक से स्वास्थ्य परीक्षण नहीं कर पाते। कभी-कभी रोगियों की अंतहीन भीड़ को देखकर भड़क भी जाते हैं। यही स्थिति चिकित्सीय अमले की है। वार्ड बॉय, नर्स पैरामेडिकल स्टाफ का अन्य हिस्सा, यह सब भी कम तादाद के चलते अधिक कार्य करने को बाध्य हैं। अतः गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा परिणाम में सुधार की अपार संभावनाएं बनी हुई हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश को तीन नए कॉलेज दिया जाना सराहना भरा कदम है। एक और खास बात, जानकार लोग बताते हैं कि देश और प्रदेश का बहुत बड़ा वर्ग एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से धीरे-धीरे दूर होता जा रहा है। कारण बताए जाते हैं कि एलोपैथिक दवाएं यदि एक रोग को ठीक करती हैं तो साइड इफेक्ट के रूप में मानवीय शरीर को अनेक दूसरे रोग प्रदान कर देती हैं। फल स्वरुप हो यह रहा है कि एक बार एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में व्यक्ति की दवा शुरू होती है तो फिर वह जीवन पर्यंत कोई ना कोई दवा खा रहा होता है। इस क्षेत्र के जान कार बताते हैं कि आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में साइड इफेक्ट ना के बराबर हैं और इन पद्धतियों में अनेक असाध्य रोगों का इलाज भी बना हुआ है। यही अवधारणा है जिसके चलते एक बहुत बड़ा वर्ग अब एलोपैथिक की ओर से आयुर्वेदिक होम्योपैथिक की ओर अग्रसर हो रहा है। ऐसे में देश को आयुष चिकित्सा पद्धति के जानकारों की बेहद आवश्यकता है। जानकर खुशी होगी कि धन्वंतरि त्रयोदशी के दिन मंदसौर में डॉक्टर मोहन यादव प्रदेश में चयनित किए गए आयुष चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र सौंपने जा रहे हैं। जाहिर है इससे चिकित्सा क्षेत्र को आयुष चिकित्सकों की नई खेप मिलेगी। इससे रोगियों को सहूलियत प्राप्त होगी और जो भीड़ एलोपैथिक चिकित्सा क्षेत्र में अराजकता का माहौल पैदा कर रही है, उसका एक भाग आयुष चिकित्सा क्षेत्र में परिवर्तित होने से एक बड़ा संतुलन पैदा हो सकेगा। नतीजतन एक ओर चिकित्सकों चिकित्सीय अमले को कार्य करने में शांतिपूर्ण माहौल प्राप्त होगा, तो वहीं रोगियों को भी समुचित इलाज और बीमारियों की व्यापक जांच पद्धति आरामदायक माहौल में प्राप्त हो पाएगी। यह सब मध्य प्रदेश और केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा धन्वंतरि त्रयोदशी के दिन किया जा रहा है। इसके लिए दोनों ही सरकारों को ढेर सारा साधुवाद। संस्कृति और विकास के पद पर सनातन और पुरातन का संतुलन बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को अनेक अनेक बधाइयां एवं देश की जनता को ढेर सारी शुभकामनाएं