लखनऊ| भाई बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार भाई दूज रविवार को है। बहनों ने भाइयों को टीका करने के लिए तैयारी पूरी कर ली है। मिठाई की दुकानों पर शनिवार को पूरा दिन भीड़ रही। भाई दूज पर भाई को टीका करके मीठा खिलाने की परंपरा है। भाई दूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र के ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि शनिवार को रात 8:21 से शुरु हो रही है। इसका समापन रविवार रात 10:05 पर होगा। उदया तिथि के आधार पर रविवार को भाई दूज मनाई जाएगी। बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं। भाई दूज पर यमुना नदी या यमुना का स्मरण कर स्नान करना चाहिए। दोपहर में बहन से तिलक कराके उसे उपहार देना चाहिए।
भैया दूज नियम
तिलक के समय भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में से किसी एक दिशा में होना चाहिए
बहन का मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व में होना चाहिए।
जबकि पूजा के लिये चॉक उत्तर-पूर्व में बनाना चाहिए।
भाई को अपनी बहन के घर पर भोजन करना चाहिए।
भैया दूज के दिन बहन को उपहार स्वरूप कुछ न कुछ जरूर देना चाहिए।
राहुकाल के दौरान भाई तो तिलक नहीं करना चाहिए।
कभी सूर्यास्त के बाद भैया दूज के दिन भाई का तिलक न करें, ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता।
क्यों मनाते हैं भाई दूज
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इन दिन का महत्व एक कथा से जुड़ा हुआ है। भगवान यमराज ने अपनी बहन यमुना से यमुना नदी का स्वच्छ पवित्र जल प्राप्त करने का वरदान मांगा। अपने भाई की चिंता से परेशान होकर यमुना ने भाई यमराज को वरदान के रूप में विशेष जल दिया। जिसके फलस्वरूप यमराज को क्रोध से मुक्ति मिल गई। वे दुःख और संकट से मुक्त हो जाते हैं। इसी लिए भाई दूज को “यम द्वितीया” भी कहा जाता है, यमराज की कृपा और आशीर्वाद से इस दिन भाइयों को सुखी जीवन की प्राप्ती होती है और वे क्रोध, दुःख और संकट से मुक्त हो जाते हैं।