व्यक्ति अथवा समाज को सुरक्षित बनाए रखने के दो तरीके होते हैं। पहला तो यह कि उसे पुलिस प्रशासन और शासन द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती रहे। दूसरा स्थाई रास्ता यह है कि उसे दक्ष और प्रशिक्षित कर अपनी सुरक्षा के प्रति आत्मनिर्भर बना दिया जाए। यही वह दो रास्ते हैं जिन पर चलकर व्यक्ति अथवा समाज को सुरक्षित रखा जा सकता है। इस मामले में जो पहला रास्ता है, उसमें सुरक्षा को लेकर सदैव ही अस्थिरता का भाव बना रहता है। जिसके चलते व्यक्ति अथवा समाज बार-बार असुरक्षा के घेरे में आता है। फल स्वरुप पुलिस, प्रशासन और शासन को उसकी सुरक्षा के प्रति तत्पर रहने की सदैव ही बाध्यता बनी रहती है। लेकिन यदि व्यक्ति अथवा समाज को उसकी सुरक्षा के प्रति आत्मनिर्भर बना दिया जाए, उसे सुरक्षा के गुरु सिखा दिए जाएं तथा अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा उसे सुरक्षा संसाधनों को लेकर दक्ष कर दिया जाए तो फिर वह सदा सदा के लिए सुरक्षित हो जाता है। ऐसे में उसके प्रति शत्रु पक्ष कभी आक्रामक हो ही नहीं पता। क्योंकि उसे मालूम रहता है कि वह जिस पर हावी होना चाहता है वह पहले से ही न केवल अपनी सुरक्षा के प्रति सज्ज है, बल्कि अपनी बेहतरी के लिए आक्रमण कर्ताओं का अनिष्ट करने की क्षमता भी रखता है। ऐसे में जो खतरे आसन्न होते हैं, वह भी व्यक्ति अथवा समाज की एक जुट ताकत के चलते अस्तित्व में आने से पहले ही निर्मूल हो जाते हैं। ऐसी अवस्था में पुलिस प्रशासन और शासन को भी सुरक्षा की व्यापक चिताओं से राहत मिलती है और वह जिसकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है वह स्वत: ही स्थाई भाव से सुरक्षित हो जाता है। मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव की सरकार इस पथ पर कदम बढ़ा चुकी है। सरकार की यह मंशा उस वक्त स्पष्ट रूप से देखने को मिली जब मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव मंच पर उपस्थित थे। तब उनकी मौजूदगी में प्रदेश की 5000 युवतियां तलवारबाजी के जौहर दिखा रही थीं। यह प्रदर्शन और तलवार चलाने का गुर इतना आकर्षक और शौर्य पूर्ण था कि स्वयं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव अपने को ना रोक पाए तथा कार्यक्रम में तलवार भांजते दिखाई देने लगे। पूरा प्रदेश संभवत अब भली भांति जान गया होगा कि डॉक्टर मोहन यादव शस्त्र संचालन में दक्षता हासिल किए हुए हैं। उन्होंने देश सेवा के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रशिक्षण शिविरों में विधिवत शस्त्र संचालन की शिक्षा दीक्षा ली हुई है। अब इस सुरक्षा के भाव को उन्होंने मध्य प्रदेश की महिलाओं और बालिकाओं के व्यवहार में ढालने का संकल्प ग्रहण कर लिया है। इस संकल्प का ही परिणाम था कि जब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इंदौर में आयोजित एक समारोह के दौरान लाडली बहनों के बैंक खातों में 1573 करोड रुपए ट्रांसफर करने जा रहे थे, तब मध्य प्रदेश की यह वीरांगना बहनें और बेटियां हजारों की संख्या में तलवार भांजती हुई समाज को आश्वस्त कर रही थीं कि हम अपनी सुरक्षा के लिए समाज, पुलिस, प्रशासन और शासन पर निर्भर ना रहते हुए स्वयं सज्ज हैं। बल्कि आवश्यकता पड़ने पर समाज की सुरक्षा के लिए उन तत्वों से लोहा लेने हेतु मैदान में उतर सकती हैं, जो सदैव भी भारतीयता पर हमले करने की फिराक में बने रहते हैं। यह प्रदर्शन इस मायने में भी खास रहा, क्योंकि विरोधी दल के नेता मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर यह आरोप लगाते रहे हैं कि वह महिलाओं और बालिकाओं को जरूर से ज्यादा आर्थिक मदद देकर उन्हें शासन पर निर्भर बने रहने के लिए अभिशप्त कर रही है। लेकिन अब जब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने लाडली बहन योजना की राशि बहनों के खातों में ट्रांसफर की तो साथ में उन्हें उच्च शिक्षित बनाए रखने के लिए लैपटॉप भी बांटे। जो बच्चियां दिव्यांग हैं, उन्हें ट्राई साइकिल, व्हील चेयर, श्रवण मशीन, आदि वितरित किए गए। यही नहीं, जिन बालिकाओं ने खेल के मैदान में झंडे गाड़े, उन्हें सार्वजनिक स्तर पर सम्मानित एवं पुरस्कृत भी किया गया। इसी के साथ उज्जवल रसोई गैस योजना के तहत 55 करोड़ से अधिक की अनुदान राशि भी जारी की । अब गरीब माता बहनों को रसोई गैस का सिलेंडर रिफिल करने में राहत बनी रहेगी। यही नहीं, सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत 55 लाख से अधिक हितग्राहियों के लिए 333 करोड रुपए से अधिक की राशि भी जारी कर दी। इन सबसे एक कदम आगे बढ़कर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने जो बेहद सराहनीय कार्य किया, वह यह है कि उन्होंने शस्त्र संचालन में दक्ष हो रही महिलाओं और बालिकाओं को अपने शौर्य प्रदर्शन का अवसर प्रदान किया। जिससे उनके अंदर आत्म बल और मजबूती के साथ स्थापित हो पाए। साथ में यह घोषणा भी की – इस प्रकार के प्रशिक्षण पर 5 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता प्रशिक्षण वर्गों को उपलब्ध कराई जाती रहेगी। इस घोषणा से यह स्पष्ट हो गया कि इंदौर में महिलाओं और बालिकाओं ने तलवारबाजी का जो सार्वजनिक प्रदर्शन किया, वह केवल शुरुआत भर है। आशय स्पष्ट है, आने वाले समय में महिलाओं और बालिकाओं को आत्मरक्षार्थ इतना आत्मनिर्भर बनाए जाने की रणनीति काम कर रही है, जिसकी चलते वे स्वयं की रक्षा तो कर ही पाएंगी, समाज को भी सुरक्षा का भाव प्रदान करने में सफल होंगी। यह लेख इस उल्लेख के बगैर अधूरा ही रहेगा की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महिलाओं और बालिकाओं को सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण देने के पक्ष में सदैव ही रहा है। यही नहीं राष्ट्र सेविका समिति के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महिलाओं और बालिकाओं को आत्मरक्षार्थ प्रशिक्षित करता आया है। फल स्वरुप देश भर में सबलाओं की एक ऐसी बड़ी फौज तैयार होती जा रही है, जो आवश्यकता पड़ने पर समाज की रक्षा के लिए असामाजिक तत्वों से लोहा लेने का अदम्य साहस प्रदर्शित करने से पीछे नहीं हटेगी। क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक अनुशासित और प्रशिक्षित स्वयंसेवक हैं। इसलिए उन्हें बेहतर मालूम है कि महिलाओं और बालि काओं को केवल आर्थिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि आत्मरक्षा के मामले में भी सशक्त बनाया जाना ही समस्या का स्थाई समाधान है। समय-समय पर उनके द्वारा यह कहा भी जाता है कि हमें महिलाओं और बालिकाओं को महालक्ष्मी, महागौरी, और मां सर स्वती मानकर केवल उनका पूजन ही नहीं करना है। बल्कि वास्तव में उन्हें इन देवियों के स्वरूप ही प्रशिक्षित करना है, ताकि हम पूरी ईमानदारी के साथ यह सार्वजनिक उद्घोष कर सकें की हां अब हमने नारी सशक्तिकरण को पूर्णता प्रदान कर दी है।