नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस संजीव खन्ना ने मंगलवार को अपने कार्यकाल के दूसरे दिन एक महत्वपूर्ण बदलाव का आदेश दिया। उन्होंने अदालत में मामलों की तत्काल सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख की पुरानी व्यवस्था को समाप्त कर दिया और अब से इसके लिए ई-मेल या लिखित आवेदन की प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया है। अब तक, वकील सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की शुरुआत में सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ के सामने अपने मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए मौखिक रूप से उल्लेख करते थे। जस्टिस खन्ना ने इस परंपरा को बदलते हुए कहा, अब कोई मौखिक उल्लेख नहीं होगा। केवल ई-मेल या लिखित पत्र के माध्यम से ही तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध स्वीकार किए जाएंगे, जिसमें वकीलों को तुरंत सुनवाई की आवश्यकता का कारण स्पष्ट करना होगा।
यह कदम जस्टिस खन्ना के न्यायिक सुधारों के तहत लिया गया है, जो नागरिकों के लिए न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने और समान व्यवहार की दिशा में है। इससे पहले, पूर्व सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल में वकीलों को मौखिक उल्लेख की सुविधा दी गई थी, जिसका उपयोग आमतौर पर गिरफ्तारी से जुड़े मामलों या पुलिस की कार्रवाई में राहत प्राप्त करने के लिए किया जाता था। मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ लेने के एक दिन बाद जस्टिस खन्ना ने यह नया कदम उठाया। 10 नवंबर को जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल समाप्त हुआ था, और इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को उन्हें 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई थी।