अहमदाबाद|एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को एबॉर्शन की परमीशन देने से गुजरात हाईकोर्ट ने मना कर दिया। पीड़िता की उम्र 16 साल 11 महीने है। उसके गर्भ में सात महीने का बच्चा है। सुनवाई के दौरान गुजरात कोर्ट ने कहा कि लड़कियों के लिए कम उम्र में शादी करना और 17 साल की उम्र से पहले बच्चे को जन्म देना सामान्य बात थी। इसका जिक्र मनुस्मृति में भी है। कोर्ट ने लड़की की स्वास्थ्य और मनोचिकित्सक जांच के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई की अगली तारीख 15 जून तक रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है।
जस्टिस समीर दवे ने कहा कि यदि लड़की और भ्रूण दोनों स्वस्थ हैं तो वह एबॉर्शन कराने वाली याचिका की अनुमति नहीं दे सकते हैं। 24 सप्तान की प्रेग्नेंसी होने की वजह से लड़की के पिता ने एबॉर्शन की परमीशन के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। 24 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के बाद एबॉर्शन सिर्फ कोर्ट की परमीशन के बाद ही किया जा सकता है। पीड़ित लड़की की तरफ से वकील ने कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि लड़की की उम्र को लेकर परिवार चिंतित है। इस पर जस्टिस दवे ने कहा कि चिंता इसलिए है क्योंकि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि अपनी मां या दादी से पूछो। 14-15 साल की उम्र तक शादी हो जाती थी। लड़कियां 17 साल की होने से पहले अपने पहले बच्चे को जन्म देती थीं। लड़कों से पहले लड़कियां मैच्योर हो जाती हैं। हालांकि आप पढ़ेंगे नहीं, लेकिन आपको एक बार मनुस्मृति पढ़नी चाहिए।
जस्टिस ने कहा कि अगर भ्रूण या लड़की में कोई गंभीर बीमारी पाई जाती है तो अदालत एबॉर्शन देने पर विचार कर सकती है। लेकिन अगर दोनों सामान्य हैं तो कोर्ट के लिए इस तरह का आदेश पारित करना बहुत मुश्किल होगा। कोर्ट ने राजकोट सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा लड़की की जांच कराने का निर्देश दिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि गर्भ में पल रहा बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है कि नहीं। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 15 जून तक रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है।