अमेजन के जंगल में 13 साल की बच्ची ने अपने तीन छोटे भाइयों को जड़े और बीच खिलाकर 40 दिन तक जिंदा रखा

अंतर्राष्ट्रीय दुनिया

बोगोटा| कोलंबिया के अमेजन के जंगल में 40 दिन बाद सही सलामत पाए गए चारों बच्‍चे इतने दिनों तक कैसे जिंदा रहे, यह सवाल हर किसी के दिमाग में चल रहा था। शनिवार को जब ये बच्‍चे अपने दादा-दादी से मिले तो इस रहस्‍य से पर्दा उठा। दरअसल, इन चारों बच्‍चों में एक 13 साल की बच्‍ची लेस्‍ली को अमेजन के जंगलों के फलों के बारे में अच्‍छी जानकारी थी। लेस्‍ली को ये सीख अपनी दादी से मिली थी। इसी के दम पर लेस्‍ली ने अपने तीन भाई जो 9, 4 और 11 म‍हीने के थे, उनकी देखभाल की। यहां आपको बता दें कि एक मई को एक प्‍लेन अमेजन की जंगलों में क्रैश हो गया। उस हादसे में तीन लोग मारे गए थे। इनमें प्‍लेन का पायलट, बच्‍चों की मां और एक अन्‍य व्‍यक्ति शामिल था। ये चारों बच्‍चे हादसे के बाद लापता हो गए थे। शुक्रवार को 40 दिन बाद 4 बच्चों को सही सलामत रेस्क्यू किया गया था।

लेस्ली की दादी ने कहा कि उनकी पोती बालों में लगाने वाले रिबन की मदद से कैंप बनाती थी। दरअसल, लेस्‍ली अकसर अपने घर में आंटी और छोटे भाई के साथ एक सर्वाइवल गेम खेलती थी। यहीं से उसने कैंप बनाना सीखा था। बच्चों की आंटी ने बताया कि अमेजन जंगलों के पास ही घर होने से लेस्ली को फलों के बारे में काफी जानकारी थी। उसे पता था कि कौन से फल खाए जा सकते हैं और कौन से जहरीले होते हैं। इसी से बच्चे 40 दिन तक फल, बीज, जड़ों और पौधों को खाकर जिंदा रहे। बच्चों से मिलने के बाद उनकी दादी फातिमा वेलेंशिया ने कहा कि मदर अर्थ ने मेरे बच्चों की देखभाल की। मैं हमेशा आभारी रहूंगी। उन्होंने बताया कि बच्चों की मां जब भी काम पर जाती थी, तब लेस्ली ही अपने भाइयों की देखभाल करती थी। इसी से उन्हें जंगल में भी जिंदा रहने में मदद मिली।

रेस्क्यू के बाद सभी बच्चों को बोगोटा के अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने बच्चों, डॉक्टर्स और रेस्क्यू टीम से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने जवानों को अमेजन के जंगलों से बच्चों को सुरक्षित बचाने पर बधाई दी। ये परिवार गुआनानो के समुदाय से है। इसी समुदाय के व्यक्ति ने बताया कि इन बच्चों को उनकी दादी ने पाल-पोसकर बड़ा किया है। इस दौरान उन्होंने समुदाय के लोगों के साथ जो-जो सीखा वो जंगल में उनके काम आया। शुक्रवार को सेना के जवानों को अमेजन के जंगल में जैसे ही चारों बच्चे जिंदा मिले वो मिरैकल मिरैकल यानी चमत्कार, चमत्कार चिल्लाने लगे। इसी शब्द को मिलिट्री ने बच्चे मिलने पर कोड की तरह इस्तेमाल करने को कहा था। इसके बाद जवानों ने उन्हें कुछ खाने-पीने की चीजें दी। फिर बच्चों को एयरलिफ्ट किया गया और वहां से सीधा अस्पताल पहुंचाया गया।

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