अप्राकृतिक कृत्य के मामले में MP के पूर्व वित्त मंत्री को HC से बड़ी राहत, एफआईआर रद्द करने के आदेश

जबलपुर प्रादेशिक मध्‍य प्रदेश

जबलपुर : मध्य प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी भाई को अप्राकृतिक कृत्‍य के मामले में हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जबलपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने साल 2013 के अप्राकृतिक कृत्य मामले में राघवजी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद राघवजी ने कहा कि वे 10 साल तक मानसिक रूप से प्रताड़ित होते रहे, लेकिन अब सत्य की जीत हुई है। उनके समर्थकों में खुशी की लहर छा गई।

एकल पीठ ने कहा है कि उक्त याचिका साल 2016 से लंबित है। न्यायालय का अभिमत है कि आपराधिक मामले में अभियुक्त को ट्रायल का सामना करना चाहिए। आपराधिक मामला दुर्भावना और निजी रंजिश के कारण दर्ज कराया जाता है तो एफआईआर निरस्त की जा सकती है। इस प्रकरण में आपराधिक कार्यवाही से स्पष्ट है कि दुर्भावना के कारण एफआईआर दर्ज कराई गई है।

पूर्व वित्त मंत्री राघवजी के खिलाफ उन्हीं के एक कर्मचारी ने अप्राकृतिक कृत्य का आरोप लगाया था। भोपाल के हबीबगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। जब मामला दर्ज हो गया तो राघवजी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने साल 2016 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यह एफआईआर निरस्त करने की अपील की थी।

जबलपुर हाईकोर्ट की एकल पीठ के जस्टिस संजय द्विवेदी ने एफआईआर रद्द करने के आदेश देते हुए कहा कि प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण व्यक्ति की छवि धूमिल करने के लिए विरोधियों के इशारे पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया है कि उसने एक अन्य पीड़ित की मदद से वित्त मंत्री का छुपकर वीडियो बनाया था। सहमति के साथ एकांत में अप्राकृतिक यौन कृत्य करने का वीडियो साजिश के तहत बनाया गया था। जस्टिस संजय द्विवेदी ने कहा कि शिकायतकर्ता साल 2010 से 2013 तक याचिकाकर्ता के सरकारी निवास पर रहा था। इस दौरान उसने कोई शिकायत नहीं की। उसने मई 2013 में सरकारी निवास छोड़ दिया था। इसके करीब तीन महीने बाद उसने एफआईआर दर्ज कराई। राजनीतिक विरोधियों के इशारे और आपसी रंजिश के कारण शिकायतकर्ता ने एफआईआर दर्ज कराई थी।

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