श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) शुक्रवार (14 जुलाई) को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपना तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन चंद्रयान-3 लांच करेगा। अपग्रेडेड बाहुबली रॉकेट लांच व्हीकल मार्क-3 (एमवी-3) से चंद्रयान-3 की लांचिंग होगी। एमवी-3 का लांचिंग सक्सेस रेट 100 फीसदी है। इसी के साथ भारत चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा। ‘मिशन मून’ चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग के लिए देश की क्षमताओं को प्रदर्शित करता है। गुरुवार दोपहर से इस मिशन के प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी।
मिशन की सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिक तिरूपति वेंकटचलापति मंदिर पहुंचे। पूजा के लिए वैज्ञानिक चंद्रयान-3 का मिनिएचर मॉडल भी अपने साथ ले गए। 24-25 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद पर उतरेगा। अगले 14 दिन रोवर लैंडर के चारों ओर 360 डिग्री में घूमेगा और कई परीक्षण करेगा। रोवर के चलने से पहिए के जो निशान चंद्रमा की सतह पर बनेंगे, उनकी तस्वीर भी लैंडर भेजेगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार, शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद, प्रोपल्शन मॉड्यूल के रॉकेट से अलग होने की उम्मीद है। अण्डाकार चक्र में लगभग 5-6 बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। लैंडर के साथ प्रणोदन मॉड्यूल, गति प्राप्त करने के बाद चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के लिए एक महीने से अधिक लंबी यात्रा के लिए आगे बढ़ेगा जब तक कि यह चंद्रमा की सतह से 100 किमी ऊपर नहीं चला जाता।
इस बार लैंडर में चारों कोनों पर लगे चार इंजन (थ्रस्टर) तो होंगे, लेकिन पिछली बार बीचोंबीच लगा पांचवां इंजन हटा दिया गया है। इसके अलावा फाइनल लैंडिंग केवल दो इंजन की मदद से ही होगी, ताकि दो इंजन आपातकालीन स्थिति में काम कर सकें।
इसी तरह इस बार ऑर्बिटर नहीं है, लेकिन प्रोपल्शन मॉड्यूल होगा जो लैंडर और रोवर से अलग होने के बाद भी चंद्रमा की परिक्रमा में घूमेगा और चंद्रमा से धरती पर जीवन के लक्षण पहचानने की कोशिश करेगा। भविष्य में इस डेटा का इस्तेमाल अन्य ग्रहों, उपग्रहों और तारों पर जीवन की खोज में हो सकेगा।