पेपरफ्राई के को-फाउंडर अंबरीश का हार्ट अटैक से निधन

देश नई दिल्ली राष्ट्रीय

नई दिल्ली| ऑनलाइन फर्नीचर कंपनी पेपरफ्राई के को-फाउंडर और CEO अंबरीश मूर्ति का 51 साल की उम्र में निधन हो गया है। वे लेह में थे जब उन्हें दिल का दौरा पड़ा। अंबरीश ने 2011 में आशीष शाह के साथ मुंबई में फर्नीचर और होम डेकोर कंपनी की स्थापना की थी। वह IIM कलकत्ता के पूर्व छात्र और ट्रैकिंग के शौकीन थे। पेपरफ्राई से पहले अंबरीश ईबे में कंट्री मैनेजर थे। पेपरफ्राई के एक और को-फाउंडर आशीष शाह ने एक X पोस्ट में इसकी जानकारी देते हुए लिखा- ‘यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि मेरे दोस्त, मेंटॉर, भाई अंबरीश मूर्ति अब नहीं है। कल रात लेह में दिल का दौरा पड़ने से हमने उन्हें खो दिया। कृपया उनके लिए और उनके परिवार और प्रियजनों को शक्ति प्रदान करने के लिए प्रार्थना करें।’

आखिरी पोस्ट में कहा- मैंने आज एंजल बनने की कोशिश की, लेकिन भगवान का मेरे लिए कुछ और ही प्लान था…
दो दिन पहले अंबरीश ने इंस्टाग्राम पर अपना आखिरी वीडियो पोस्ट किया था। इस वीडियो में वो मनाली-लेह हाईवे पर बाइक को पार्क कर सफर में आई परेशानी के बारे में बता रहे थे। वीडियो की शुरुआत में वो रोड की तारीफ करते हुए कहते हैं, ‘अगर भगवान ने कभी बाइकर्स के लिए स्वर्ग बनाया, तो स्वर्ग की सभी सड़कें इस तरह दिखेंगी। फ्लैट, ब्लैक टरमैक।’ वो कहते हैं, ‘यह मनाली-लेह हाईवे के बीच मूर प्लेन है। मूर प्लेन यानी घास और पहाड़ियों का एक खुला क्षेत्र। इन मूर प्लेन्स के बीच में, भगवान एंजल्स को पार्टी करने के ऑप्शन देंगे। एंजेलिक बाइकर्स ने पार्टियां मनाईं, पिकनिक मनाईं। मैंने आज एक एंजल बनने की कोशिश की, लेकिन भगवान की मेरे लिए कुछ और ही योजना थी। उन्होंने मुझे एक एंजल के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया।’

मोटरसाइकिल के गियर से जुड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा…
उन्होंने समस्या बताते हुए कहा, ‘मुझे मोटरसाइकिल के गियर से जुड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। मैं अपनी बाइक का तीसरा, चौथा और पांचवां गियर नहीं लगा पा रहा था। इसलिए मैंने केवल पहले और दूसरे गियर में सफर किया। फिर मैंने इसे ठीक करने के लिए वही किया जो आइंस्टाइन करते। मैंने एक बड़ा पत्थर उठाया और उससे अपने गियर पेडल पर प्रहार किया। उसके बाद सब कुछ ठीक हो गया।’

अंबरीश को पसंद थी ट्रैकिंग और बाइकिंग
अंबरीश मूर्ति का जन्म 10 सितंबर 1971 को हुआ था। उन्हें बाइकिंग और ट्रैकिंग पसंद थी। छुट्टियों में वो अकसर बाइक से लद्दाख जाते थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि जंस्कार वैली के चादर ट्रैक में उनका ट्रैकिंग एक्सपीरियंस उनके सबसे अच्छे अनुभवों में से एक था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *