पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की बेटी वीणा सिंह ने की अपील : बिट्‌टन मार्केट का नाम न बिगाड़ा जाए

भोपाल मध्‍य प्रदेश

भोपाल| मप्र के पूर्व सीएम स्वर्गीय अर्जुन सिंह की बेटी वीणा सिंह ने भोपाल के बिट्‌टन मार्केट को बिटठ्ल मार्केट कहे जाने पर आपत्ति जताई है। वीणा सिंह ने सरकार और भोपालवासियों से अनुरोध करते हुए कहा है कि उनकी मां को उनके मायके पक्ष के परिजन प्यार से ‘बिट्‌टन’ कहा करते थे। उनके नाम पर तत्कालीन प्रशासक एमएन बुच ने बिट्‌टन मार्केट बनाया। लेकिन, अब लोग इसे बिट्‌ठल मार्केट कहने लगे हैं। इस मार्केट का नाम न बिगाड़े। जो सही नाम है वही रहने दें। भोपाल के मोटल शीराज में गुरुवार को पूर्व सीएम अर्जुन सिंह की बेटी वीणा सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान मप्र कांग्रेस की वचन पत्र समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह, मप्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष राजीव सिंह, सैम वर्मा, कमलनाथ के मीडिया एडवाइजर पीयूष बबेले मौजूद थे। वीणा सिंह ने कहा- मेरी मां स्वर्गीय सरोज कुमारी बघेली भाषा में मुहावरों का उपयोग करतीं थीं। वो एक जीवट महिला थीं। कभी लाइम लाइट में नहीं आईं। पर्दे के पीछे रहकर सादगी से अपना काम करती रहीं। उनके जीवन पर लिखी गई किताब ‘विंध्य की बेटी: मुहावरों से झलकती आत्मा’ का विमोचन रविन्द्र भवन में 12 अगस्त को पूर्व सीएम कमलनाथ करेंगे। इस किताब में बघेली भाषा की 151 कहावतों को भी शामिल किया गया है।

बिट्‌टन मार्केट बनने की कहानी सुनाई

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अर्जुन सिंह की बेटी वीणा सिंह ने भोपाल के बिट्‌टन मार्केट के बनने की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा- हमारा और एमएन बुच का परिवार पड़ोसी था। वे उस समय भोपाल के प्रशासक थे। हमारे और उनके परिवार के बीच बहुत घनिष्ठ संबंध हैं। हम लोग एक दूसरे के घर बहुत आया-जाया करते थे। उस समय मेरी शादी हुई थी। एक दिन बुच साहब सुबह-सुबह हमारे घर आए। उस दिन हमारे नानाजी घर पर ही थे। मेरी मां का घर का नाम बिट़्टन था। नानाजी ने दो-तीन बार बिट्‌टन कहा तो बुच साहब ने पूछा कि यह कौन है? तो मां ने कहा कि ये हमारे मायके का नाम है। हमारे पिताजी और मायके वाले मुझे इस नाम से बुलाते हैं। ये सुनकर बुच साहब ने कहा यह नाम मुझे बहुत पसंद है। आगे जब मैं कोई बाजार बनाऊंगा तो उसका नाम बिट्‌टन के नाम पर रखूंगा। मां ने समझा कि यह मजाक कर रहे हैं। लेकिन, जब उन्होंने बाजार बनाया और उसका उद्घाटन बिट्‌टन मार्केट के नाम पर किया। मैं जब भी भोपाल आती हूं और कोई मुझसे कहता है विट्ठल बाजार चलना है तब मैं कहती हूं कि बिट्‌टन मार्केट है उसको बिट्‌ठल मार्केट मत कहो।

किताब में मां को जानने वालों ने लिखे अपने विचार

वीणा सिंह ने कहा मां के लिए लिखी गई किताब में 11 व्यक्तियों ने मेरी मां के बारे में लिखा है। मेरी मां कभी लाइम लाइट में नहीं रहीं। वह हमेशा बिहाइंड द सीन रहीं। पूरा जीवन सादगी से बिताया। हम लोग नानाजी को मेजर पापा कहते थे। मां को मेजर मम्मा कहते थे क्योंकि वह टाइम की पक्की थीं। उस किताब में लोगों ने उनकी जो जीवनी के बारे में लिखा है वह आश्चर्यजनक है। मेरी मां किस बैकग्राउंड की थीं।

सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 6 साल की उम्र में बर्मा से भारत पैदल आई थीं

वीणा सिंह ने कहा- सब लोग कहते हैं कि दाऊ साहब (अर्जुन सिंह) के बारे में तो सब लोग जानते हैं। मां के बारे में कोई नहीं जानता। वह 6 साल की उम्र में बर्मा से सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान इंडिया तक पैदल आईं थीं। उनके नानाजी वर्मा में रहते थे। वो वर्मा में पैदा हुई थीं। सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 6 साल की उम्र में वह पैदल आई थीं। बचपन में उन्होंने मौत को नजदीक से देखा। वह कभी किसी से डरती नहीं थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *