पश्चिम बंगाल का शांतिनिकेतन विश्वधरोहर में शामिल

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कोलकत्ता| कवि और दार्शनिक टैगोर द्वारा 1901 में स्थापित, शांतिनिकेतन एक आवासीय विद्यालय और प्राचीन भारतीय परंपराओं और धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं से परे मानवता की एकता की दृष्टि पर आधारित कला का केंद्र था। मानवता की एकता या “विश्व भारती” को मान्यता देते हुए 1921 में शांतिनिकेतन में एक ‘विश्व विश्वविद्यालय’ की स्थापना की गई थी।20वीं सदी की शुरुआत और यूरोपीय आधुनिकतावाद के प्रचलित ब्रिटिश औपनिवेशिक वास्तुशिल्प रुझानों से अलग, शांतिनिकेतन पूरे क्षेत्र की प्राचीन, मध्ययुगीन और लोक परंपराओं पर आधारित अखिल एशियाई आधुनिकता के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। भारत बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को यूनेस्को टैग दिलाने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा था।

रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर भारत के लिए बड़ी खुशखबरी

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को बताया कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में शांतिनिकेतन को इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (आईसीओएमओएस) द्वारा यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है। इस संबंध में उन्होंने ट्विटर पर कहा, “गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर भारत के लिए बड़ी खुशखबरी, शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल को यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र की सलाहकार संस्था आईसीओएमओएस द्वारा विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है। शांतिनिकेतन पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक शहर है। विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन में स्थित है। यह स्थान अब हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है।

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