नई दिल्ली। बीते सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आहूत की गई बैठक में महिला आरक्षण विधेयक पर मुहर लगा दी गई थी। इसके बाद इसे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक बिल पेश किया। वहीं, आज इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। उधऱ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि यह विधेयक आज की तारीख में समय की जरूरत है। वहीं, विपक्ष की ओर से मोर्चा संभालते हुए अधीर रंजन चौधरी ने इस बिल को लेकर अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों की ओर से सदन का ध्यान आकृष्ट किया जिसके बाद सत्तापक्ष की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें अतीत में ले जाकर उनकी सरकार द्वारा की गई त्रुटियों की ओर से उनका ध्यान आकृष्ट किया। वहीं, आज सदन में आज इस बिल पर चर्चा का तीसरा दिन है। जिस पर अभी चर्चा का सिलसिला जारी है। अब ऐसे में इस बिल को लेकर आगामी दिनों में सदन का क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
अमित शाह ने शुरू किया भाषण
अमित शाह ने कहा कि कल का दिन नारी शक्ति के लिहाज से स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। शाह ने कहा कि यह युग बदलने वाला विधेयक साबित होगा। वहीं, शाह ने कहा कि किसी दूसरी पार्टी के लिए महिला सशक्तीकरण राजनीतिक मुद्दा हो सकता है, लेकिन मेरी पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह राजनीति का मसला नहीं है। शाह ने हा कि मेरी पार्टी महिला सशक्तिकरण की दिशा कदम उठाने वाली कदम पहली और अंतिम पार्टी है। हमने हमेशा महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम उठाया है।
राहुल गांधी ने लोकसभा में बोलना शुरू किया
राहुल ने अपने भाषण में सवालिया लहजे में कहा कि आखिर आजादी के सात दशकों के बाद भी हमारी संस्थाओं में ओबीसी की भागीदारी कितनी है? राहुल ने कहा कि सिर्फ 90 सेक्रेटरी में से सिर्फ 3 ही ओबीसी समुदाय से है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस बिल को आज ही लागू कीजिए। इसके साथ ही राहुल ने इस बात पर जोर दिया कि आप जातीय जनगणना मत कीजिए। आप सीधा 33 फीसद आरक्षण महिला को ही दे दीजिए। राहुल ने कहा कि ओबीसी समुदाय की झोली में बजट में सिर्फ 3 फीसद हिस्सा ही आ पाता है। कांग्रेस नेता ने कहा कि, ‘जब अंग्रेजों ने उनसे पूछा तो हमारे क्रांतिकारी नेताओं ने कहा कि हम जनता को सत्ता देंगे। वोट सत्ता ट्रांसफर का प्रतीक बन गया। पंचायती राज उस ओर एक कदम था। सब इस बात को मानते हैं कि महिलाओं को और जगह मिलनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं बिल का समर्थन करता हूं, लेकिन ये बिल कंप्लीट नहीं है। इसमें ओबीसी आरक्षण होना चाहिए था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि मुझे नए संसद भवन में भाषण देने में खुशी हो रही है। वहीं, मैं महिला आरक्षण बिल के समर्थन में हूं, लेकिन यह बिल अभी पूरा नहीं हुआ है, क्योंकि अभी तक इसमें ओबीसी आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है। राहुल ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई आपत्ति नहीं है कि अन्य अहम मुद्दों जैसे अडानी से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भी ऐसा किया जा रहा है।
वहीं, महिला आरक्षण बिल पर केंद्रीय महिला एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि, ‘”आज, जिन्होंने इसे जुमला कहा और कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने इसके लिए कई पत्र लिखे, कम से कम उन्होंने स्वीकार किया कि वे उनका (पीएम मोदी) अपमान करते रहे लेकिन उन्होंने उनके प्रत्येक संचार को पढ़ा और उनके साथ इस पर चर्चा की।”
महिला आरक्षण बिल पर अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने कहा कि, ‘”मैं महिला आरक्षण विधेयक की सराहना करती हूं और इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देती हूं। मुझे लगता है कि यह महिला आरक्षण विधेयक समय की जरूरत है।”
सुप्रीया सुले ने महिला आरक्षण बिल पर कहा कि, ‘”निशिकांत दुबे ने कहा कि भारत उन लोगों के पक्ष में है जो महिलाओं को अपमानित करते हैं और अपमानजनक बातें करते हैं…महाराष्ट्र में भाजपा के एक प्रमुख थे। उन्होंने टेलीविजन पर रिकॉर्ड पर मुझसे व्यक्तिगत रूप से कहा – “सुप्रिया सुले घर जाओ, खाना बनाओ, देश कोई और चला लेगा। हम लोग चलेंगे।” यही है बीजेपी की मानसिकता…”
“निशिकांत दुबे ने कहा कि भारत उन लोगों के पक्ष में है जो महिलाओं को अपमानित करते हैं और अपमानजनक बातें करते हैं…महाराष्ट्र में भाजपा के एक प्रमुख थे। उन्होंने टेलीविजन पर रिकॉर्ड पर मुझसे व्यक्तिगत रूप से कहा – “सुप्रिया सुले घर जाओ, खाना बनाओ, देश कोई और चला लेगा। हम लोग चलेंगे।” यही है बीजेपी की मानसिकता…” वहीं, सत्तापक्ष की ओर से जब केंद्रीय मंत्री निशिकांत दुबे ने बोलने की कोशिश की, तो विपक्ष ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आखिर महिला आरक्षण बिल पर किसी महिला सांसद को बोलने की इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है। जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भाइयों को इस मामले में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उधर, सरकार की ओर से अपना पक्ष रखते हुए केंद्रीय मंत्री निशिकांत दुबे ने विपक्ष पर इस बिल को लेकर राजनीति करने का आरोप लागया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल यह बिल नहीं ला पाई, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा यह बिल लाने में सफल हुई है। वहीं, आज कांग्रेस इस बिल पर अपना श्रेय लेने की कोशिश कर रही है, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि विपक्ष द्वारा लाया गया यह बिल गलत था, जिसकी वजह से वो बिल आगे नहीं बढ़ सका था।
वहीं, इस बिल पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह बिल लैंगिक समानता का प्रतीक है। हमारे दौर की सबसे परिवर्तनकारी क्रांति होगा। ‘हमने स्थानीय निकाय के चुनावों में महिलाओं के लिए न्यूनतम 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया है… एक और सुखद संयोग है कि राज्य विधानसभाओं और देश की संसद में महिलाओं के लिए ऐसा ही आरक्षण देने वाला एक प्रस्ताव अब आगे बढ़ रहा है। यह लैंगिक न्याय के लिए हमारे दौर की सबसे परिवर्तनकारी क्रांति होगा।