नई दिल्ली| इंडियन एयरफोर्स सहित डिफेंस फोर्सेज ने पिछले दो दिनों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के चार परीक्षण किए। इन एक्सटेंडेड रेंज की मिसाइलों ने सफलतापूर्वक अपने टारगेट पर हमला किया। रक्षा अधिकारियों ने 11 अक्टूबर को इसकी जानकारी दी है। इंडियन एयर फोर्स ने सोशल मीडिया पर बुधवार शाम 4 बजे मिसाइलों की टेस्टिंग से जुड़े वीडियोज सोशल मीडिया पर शेयर किए। कैप्शन में लिखा- हाल ही में पूर्वी समुद्री तट द्वीप समूह के पास ब्रह्मोस मिसाइल के सतह से सतह तक मार करने वाले वर्जन का सफल परीक्षण किया।
इंडियन एयरफोर्स ने 29 दिसंबर 2022 को बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस एयर लॉन्च मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह 400 किलोमीटर तक के टारगेट को मार सकती है। टेस्टिंग के बाद एयरफोर्स ने बयान जारी कर कहा था- इस मिसाइल का सुखोई Su-30 फाइटर एयरक्राफ्ट से परीक्षण किया गया है। डिफेंस डिपार्टमेंट ने बताया था कि परीक्षण के दौरान मिसाइल ने टारगेट की गई शिप को मार गिराया। यह मिसाइल के एयर-लॉन्च वर्जन का एंटी-शिप वर्जन है।
NATO देश इसे खरीदने में दिखा चुके हैं अपनी दिलचस्पी
भारत की ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को देश का ब्रह्मास्त्र कहा जाता है। इसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। यह किसी भी सशस्त्र बल में शामिल इकलौती सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। ये मिसाइल इतनी खास है कि चीन में तैनात S-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। पश्चिमी देशों के साथ कई NATO देश भी इस मिसाइल को खरीदने में अपनी दिलचस्पी दिखा चुके हैं। ब्रह्मोस एरोस्पेस के CEO और MD अतुल दिनकर ने यह दावा किया था।
कैसे नाम पड़ा ब्रह्मोस?
ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज NPOM के बीच साझा समझौते के तहत विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है। रक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, ब्रह्मोस का नाम भगवान ब्रह्मा के ताकतवर शस्त्र ब्रह्मास्त्र के नाम पर दिया गया। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि इस मिसाइल का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि ये एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज है।