मध्यप्रदेश में संपन्न हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स की सफलतापूर्वक संपन्नता ने यह साबित कर दिया है कि वर्तमान सरकार जो भी कार्य हाथ में लेती है, उसे खूबसूरत अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेती है। इस आयोजन से पहले किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स जन जन का आयोजन बन जाएगा। इसका जीवंत प्रमाण यह है कि मध्य प्रदेश की राजधानी के अलावा जहां-जहां भी यह आयोजन हुआ, वहां खेल प्रेमी युवा वर्ग के अलावा जनसाधारण की भीड़ अप्रत्याशित रूप से देखने को मिली। इससे खिलाड़ियों का उत्साह दुगना हुआ तथा उन्होंने अपने सर्वोत्तम हुनर का प्रदर्शन करके कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। सब जानते हैं कि कला क्षेत्र का महारथी अपने लिए सबसे अधिक अनुकूल उस मंच अथवा मैदान को मानता है, जहां उसे देखने अथवा सुनने वालों का हुजूम अधिकतम संख्या में मौजूद रहे। यह आकांक्षा मध्यप्रदेश में मूर्त रूप लेती दिखाई दी। इसका श्रेय स्पष्ट रूप से मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार को दिया जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। गौर से देखें तो यह कार्यक्रम इसलिए सफल हो पाया, क्योंकि शिवराज सरकार ने इसे अपनी आन बान शान के रूप में ग्रहण किया और चुनौती के रूप में लेते हुए व्यवस्थाओं के बीच आने वाले सारे अवरोध धराशाई कर दिए। अच्छी तरह याद है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार के जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों से स्पष्ट रूप से कह दिया था कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स में किसी भी प्रकार की ढील बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हमारे सामने ऐसी किसी भी प्रकार की परिस्थिति नहीं आनी चाहिए, जिससे खिलाड़ियों का मनोबल आहत हो। साथ में यह आवश्यकता भी जताई गई कि कार्यक्रम का प्रचार प्रसार अन्य जन हितैषी योजनाओं की तरह ही व्यापक स्तर पर किया जाना अपेक्षित है। यही वजह रही कि चाहे सत्ता पक्ष के लोग हों अथवा विपक्ष के, सभी लोग इस आयोजन को मध्य प्रदेश का गौरव मांगने के लिए विवश होते दिखाई दिए। फल स्वरूप राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधाएं, खिलाड़ियों के ठहरने के इंतजाम, उनके प्रातः काल उठने से लेकर रात्रि विश्राम तक चाय, नाश्ता, दोपहर का भोजन, रात्रि का भोजन, इस बीच आवश्यकता होने पर अतिरिक्त भोज्य पदार्थों का इंतजाम खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाता रहा। इधर जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों की कदमताल ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से खेलो इंडिया यूथ गेम्स को जन जन तक पहुंचाने का काम किया। उसके परिणाम यह निकले कि एक ओर खिलाड़ी समस्त सुविधाओं से प्रसन्न चित्त होकर अपना ध्यान खेलों पर फोकस कर पाए। वहीं खेलों में रुचि रखने वाले युवा उन स्थलों की ओर बढ़ चले, जहां-जहां यह कार्यक्रम आयोजित किए गए। अंततः खेल फिल्म प्रेमियों का हुजूम इन खेलों के दौरान देखने को मिला, जिसकी कल्पना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई थी। खिलाड़ियों को सुविधाएं मिलीं और साथ में खेल प्रेमियों का भारी हुजूम भी मयस्सर हुआ, तो मैदान में सर्वोच्च प्रदर्शन दिखाई देने लगा। इसमें सबसे बड़ी बात तो यह रही कि मध्यप्रदेश ने कार्यक्रम की मेजबानी करते हुए भी जीत के पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर डाले। यह बड़ी उपलब्धि ही है कि सरकार एक ओर अपनी मेजबानी के धर्म को बचाने में सफल रही, वहीं उसके खिलाड़ी लगभग एक सैकड़ा पदक हासिल करने में कामयाब साबित हुए। खेलो इंडिया यूथ गेम्स की सफलता की यह पराकाष्ठा है कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम की मुक्त कंठ से सराहना की है। यही नहीं, उत्तम प्रबंध और दर्शकों के मन में खेलों के प्रति उत्सुकता पैदा करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार और विशेषकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पीठ भी थपथपाई गई है। यह सब इसलिए भी हुआ, क्योंकि केंद्रीय खेल मंत्री और केंद्रीय खेल राज्य मंत्री के अलावा मध्यप्रदेश में युवा मामलों व खेल विभाग के मंत्री एक दूसरे से समन्वय स्थापित कर व्यवस्थाओं को निष्ठा के साथ अंजाम देते नजर आए। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मॉनिटरिंग इस पूरे आयोजन को सफलता की ओर हर क्षण और हर पल बढ़ाती रही। चूंकि प्रधान मंत्री भी वर्चुअल रहकर इन सारी गतिविधियों को बारीकी से देख रहे थे। इसलिए वे भली भांति यह समझ पाए कि मध्य प्रदेश शासन ने वाकई में खेलो इंडिया यूज़ गेंम्स को गंभीरता से लिया है। यहां से प्रसन्नचित होकर दिल्ली लौटे केंद्रीय खेल मंत्री और केंद्रीय खेल राज्य मंत्री ने भी प्रधानमंत्री के सामने बेहद अनुकूल रिपोर्ट प्रस्तुत की। जाहिर है इस बेहद अनुकूल माहौल ने प्रधानमंत्री की नजर में मध्य प्रदेश सरकार का कद पहले की अपेक्षा और अधिक ऊंचा कर दिया है। सफल आयोजन के लिए मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार को अनेक अनेक बधाइयां।