नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को राजधानी के द्वारका में विजयादशमी उत्सव में भाग लेते हुए देशवासियों से भेद-भाव और अन्य सामाजिक बुराइयों को राष्ट्रभक्ति की भावना से पराजित करने तथा गरीबों की मदद करने संकल्प लेने का आह्वान किया। मोदी ने उत्सव में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए देशवासियों को ‘शक्ति उपासन पर्व नवरात्र और विजय पर्व विजियादशमी की शुभकामनाएं दीं।’ प्रधानमंत्री ने अर्थ से लेकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की नयी उड़ानों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के भाग्य का उदय होने जा रहा है. ऐसे समय में भारत को सतर्क रहना ज्यादा जरूरी है। उन्होंने अपील की कि रावण के दहन के रूप में बस एक पुतले का दहन ना करें, हर उस बुराई को समाप्त करें जो देश के सौहार्द को तोड़ती है।
मोदी ने कहा,‘‘विजयादशमी का पर्व सिर्फ रावण पर राम की विजय का पर्व नहीं, राष्ट्र की हर बुराई पर राष्ट्रभक्ति की विजय का पर्व बनना चाहिए।” उन्होंने कहा, ‘‘हमें समाज में बुराइयों के, भेदभाव के अंत का संकल्प लेना चाहिए।’’ मोदी ने सियावर राम चन्द्र की जय के उद्घोष के साथ कहा कि विजयादशमी का पर्व अन्याय पर न्याय की विजय अहंकार पर विनम्रता की विजय और आवेश पर धैर्य की विजय का पर्व है। उन्होंने समर्थ लोंगों से गरीब परिवारों की मदद का आह्वान करते हुए कहा,“हम उनके घर का सदस्य बनकर कम से कम एक गरीब परिवार की सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाएंगे।” प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष निकाला कि ‘जब तक देश में एक भी गरीब व्यक्ति है जिसके पास बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं, घर नहीं है, बिजली नहीं है, गैस नहीं है, पानी नहीं है, इलाज की सुविधा नहीं है, हम आराम से नहीं रह सकते। ’ प्रधानमंत्री ने कहा, “ विजयादशमी तब मना रहे हैं जब चन्द्रमा पर हमारी विजय को दो महीने पूरे हो रहे है।”
मोदी ने कहा कि विजयादशमी भगवान राम की वापसी के समान है। उन्होंने कहा कि भारत में शगुन हो रहे हैं, हम चांद पर पहुंच गए, हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं, नया संसद भवन बन गया है, महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया है और इस समय पूरी दुनिया लोकतंत्र की जननी को देख रही है। प्रधान मंत्री ने भारत के लिए अगले 25 वर्षों के महत्व को दोहराया। उन्होंने क “हमें भगवान राम के विचारों का भारत बनाना है। एक विकसित भारत, जो आत्मनिर्भर हो, एक विकसित भारत, जो विश्व शांति का संदेश देता हो, एक विकसित भारत, जहां सभी को अपने सपनों को पूरा करने का समान अधिकार हो, एक विकसित भारत, जहां लोगों को समृद्धि और संतुष्टि का एहसास हो। यह राम राज की परिकल्पना है। ”इसी आलोक में प्रधानमंत्री ने सभी से पानी बचाने, डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने, स्वच्छता, लोकल के लिए वोकल, गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाने, विदेश के बारे में सोचने से पहले देश को देखने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, बाजरा को बढ़ावा देने और फिटनेस अपनाने जैसे 10 संकल्प लेने का भी आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि विजया दशमी पर शस्त्र की पूजा का भी विधान है। भारत की धरती पर शस्त्रों की पूजा किसी भूमि पर आधिपत्य नहीं बल्कि उसकी रक्षा के लिए शस्त्र पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि हमारी शक्ति पूजा हमारे लिए नहीं पूरी सृष्टि के सौभाग्य, आरोग्य सुख विजय और यश के लिए की जाताी है। प्रधानमंत्री ने कहा,“हम श्रीराम की मर्यादा जानते है और अपनी सीमाओं की रक्षा करना भी जानते हैं। उन्होंने कहा कि हमें सौभाग्य मिला है भगवान राम का भव्य मंदिर बनता देख पा रहे है और अयोध्या की अगली राम नवमी पर रामलला के मंदिर पर गूंजा हर स्वर पूरे विश्व को हर्षित करने वाला है। भगवान राम की जन्म भूमि पर बन रहा भव्य मंदिर सदियों की प्रतिक्षा के बाद हम भारतीयों को मिली विजय का प्रतीक है । राम मंदिर में भगवान राम के विराजने पर कुछ ही महीन बचे हैं।” मोदी ने कहा,“साथियों उस हर्ष की परिकल्पना कीजिये जब शताब्दियों के बाद भगवान राम के मंदिर में उनकी मूर्ति बिराजेगी।