नई दिल्ली| दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आरोपी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की ओर से शुरू की गई पीएमएलए कार्यवाही को उसके खिलाफ दर्ज दो एफआईआर के आधार पर रद्द कर दिया- जिन्हें बाद में पार्टियों के बीच समझौते के बाद रद्द कर दिया गया था। जस्टिस अमित शर्मा ने कहा कि एफआईआर रद्द होने के बाद एक अनुसूचित अपराध अस्तित्व में नहीं रह सकता है और इसलिए, यदि कोई अनुसूचित अपराध नहीं है तो उसके संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा, “इस प्रकार, इस न्यायालय की सुविचारित राय में, वर्तमान मामले में पहले दो एफआईआर यानी एफआईआर नंबर 16/2018 और एफआईआर नंबर 49/ 2021 में अनुसूचित अपराधों के संबंध में पीएमएलए के तहत कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।” अदालत 2019 में ईडी की ओर से दर्ज ईसीआईआर के तहत की गई सभी कार्रवाइयों को रद्द करने की मांग करने वाली राजिंदर सिंह चड्ढा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत द्वारा रद्द की गई दो एफआईआर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दर्ज की थीं, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वर्ष 2006-07 में पैसे का भुगतान करने के बावजूद, उन्हें फ्लैटों का कब्जा नहीं मिला, जैसा कि आरोपी कंपनी, मेसर्स उप्पल चड्ढा हाई-टेक ने वादा किया था।